Sunday, December 29, 2024
spot_img
HomeUncategorizedघरों से भागते एकाकी किशोर: न्यूक्लियर फैमिली में कम्युनिकेशन गैप का परिणाम

घरों से भागते एकाकी किशोर: न्यूक्लियर फैमिली में कम्युनिकेशन गैप का परिणाम

मनोचिकित्सकों के मुताबिक “ट्रांसिशन पीरियड मैं सबसे जरूरी है संवाद, कम्युनिकेशन। पैरंट्स अच्छा कम्युनिकेशन करे बच्चों से तो बच्चे भी अपनी सोच को आगे रखेंगे। दोनों ओर से कम्युनिकेशन होना जरूरी है।” वहीं समाजशास्त्री इसके लिए आज की बदलती नई सामाजिक व्यवस्था को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। समाज शास्त्रियों के मुताबिक देश में पहले ज्वाइंट फैमिली सिस्टम परिवार की रीढ़ माना जाता था लेकिन बहुत हद से अब ये सिस्टम धराशायी हो रहा है और न्यूक्लियर फैमिली सिस्टम का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है। यही कम्युनिकेशन गैप किशोरों को एकांकी बनता है, जिससे वह घरों से भागते हैं।

एक सर्वे के मुताबिक भारत में 82 फीसदी न्यूक्लियर फैमिली हैं जबकि महज 18 फीसदी ही ज्वाइंट फैमिली बचे हैं। न्यूक्लियर फैमिली के बच्चे परिवार के सदस्यों से कम घुलते-मिलते हैं। वो अपनी सोच मां-बाप के सामने नहीं रख पाते और तब उन्हें बाहरी दुनिया खींचती है।

समाजशास्त्रियों के मुताबिक “हमारा समाज बदल रहा है पर समाज बदलने के साथ साथ हम ऐसी इन्स्टीटयूशन खडी नहीं कर पा रहे जो बच्चों, युवाओं की समस्याओं का निराकरण कर सके। हमारे फैमिली की जो इंस्टीट्यूशन है वो इतनी सक्षम नहीं है की नयी पीढ़ी को रास्ता दिखा सके।”

एक सर्वे के मुताबिक भारत में साल 2008-2010 के बीच 117, 480 बच्चे लापता हुए हैं। एक अनुमान के मुताबिक हर साल भारत में 96,000 बच्चे लापता होते हैं। अलग-अलग वजहों से ये बच्चे लापता हुए। इनमें उन बच्चों की तादाद भी है जो अपनी मर्जी से घर छोड़कर चले गए। उनमें से कई अपनी मर्जी से लौट भी आए, लेकिन सैकड़ों का अभी-भी इंतजार है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments