Tuesday, December 31, 2024
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बोतल में बंद जिन्न कुलबुलाया- गंगा एक्सप्रेस-वे को अखिलेश की हरी झंडी

उत्तर प्रदेश की सपा सरकार जहाँ पूर्व की बसपा सरकार के निर्णयों को सिरे से पलट रही है| वहीँ मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के ड्रीम प्रोजेक्ट गंगा एक्सप्रेस-वे को साकार रूप देने का मन बनाया है। अगर ऐसा होता है तो किसानो के आन्दोलन का बोतल में बंद जिन्न एक बार फिर बाहर आ सकता है|

सरकार से जुड़े हमारे सूत्र बताते हैं कि इसके लिए पहल करते हुए सरकार 1 से 7 अप्रैल तक केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) के लिए आवेदन कर सकती है। गौरतलब है कि नोएडा से बलिया तक बनने वाले आठ लेन के इस एक्सप्रेस-वे को केंद्र से एनओसी तक नहीं मिल सकी है। माना जा रहा है कि सपा सरकार के केंद्र से अच्छे सम्बन्ध है जिस वजह से एनओसी मिलने में परेशानी नहीं होगी| हालाँकि इस प्रोजेक्ट में जे पी ग्रुप टेंडर की शर्तो से हटकर जमीनों का अधिग्रहण कर रहा था जिसका बड़े पैमाने पर विरोध हुआ था|

सरकार इस प्रोजेक्ट को लेकर कितना गंभीर है इसका अंदाजा इस बात से लग जाता है कि सूबे के औद्योगिक विकास आयुक्त अनिल कुमार गुप्ता ने शुक्रवार को गंगा एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट की समीक्षा की। उन्होंने अफसरों से कहा है कि वे इस एनओसी के लिए विधिवत आवेदन पर्यावरण मंत्रालय को जरूर भेज दें। केंद्र सरकार से इस पर एनओसी मिलने के बाद डवलपर प्रदेश सरकार से नए सिरे से समझौता करेगा और प्रोजेक्ट के लिए बैंक गारंटी जमा करेगा। यूपीडा अगले हफ्ते एनओसी के लिए विधिवत आवेदन पर्यावरण मंत्रालय को भेजेगा।

अभी तक एनओसी के न मिलने के कारण ही विधानसभा चुनाव से पहले डवलपर ने इस प्रोजेक्ट के लिए जमा की गई 894.75 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी तत्कालीन मायावती सरकार से वापस ले ली थी। अगर एनओसी मिल जाती है तो डवलपर बैंक गारंटी फिर जमा कर और रूका हुआ प्रोजेक्ट आगे बढ़ा सकता है।

वैसे अभी भी परेशानियाँ खत्म नहीं हुई हैं क्योंकि जो रूट निर्धारित किया गया था वो पर्यावरण के लिहाज से काफी संवेदनशील है ऐसे में एनओसी कैसे मिलती कब मिलती है रूट में बदलाव होता है ये ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब मिलने के बाद ही इस प्रोजेक्ट का रास्ता साफ होगा|

जेएनआई ने किया था जे पी ग्रुप के घोटाले का पर्दाफास-
फर्रुखाबाद में भी गंगा एक्सप्रेस वे का जबरदस्त विरोध हो चुका है| सरकार के प्लान और जेपी ग्रुप के भूमि अधिग्रहण में काफी अंतर रहा था| जे पी ग्रुप पास हुए नक़्शे से इतर किसानो की जमीने नाप रहा था| जबकि सरकार का प्लान गंगा का खादर था जहाँ कोई आबादी और पेड़ पौधे नहीं थे| जेपी ग्रुप लागत घटाने की वजह से गंगा की खादर से कई किलोमीटर दूर हट कर किसानो की जमीने नाम रहा था| इस काम में उसे मायावती सरकार के कई मंत्री जिनकी इस प्रोजेक्ट में बेनामी हिस्सेदारी थी का आशीर्वाद भी मिल रहा था| इस मामले में फर्रुखाबाद में आन्दोलन भी शुरू हुआ जिसकी अगुआई किसान मोर्चा और अरविन्द सोमवंशी कर रहे थे| इसी कारण जिले स्तर के बड़े अधिकारी यहाँ तक कि जिलाधिकारी भी अपना मुह सिले रहे और किसानो के साथ हो रहे नाइंसाफी पर कुछ नहीं कर सके| सबसे बड़ी बात ये थी कि कई जिलाधिकारी ये मानते हुए भी कि जेपी ग्रुप के लोग गड़बड़ी कर रहे है वे अपनी रिपोर्ट किसानो के हक में नहीं भेजते रहे|
पढ़े क्या हुआ था-
गंगा एक्सप्रेस वे से जनपद के १५ गाँव प्रभावित

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