………और जब पति ने सुहागरात के समय सैलरी स्लिप दिखाने को कहा

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सुहागरात में पति ने पत्नी से पूछा तुमने बायोडाटा में जिस नौकरी का जिक्र किया है, उसकी सैलरी स्लिप कहां हैं। साथ ही पढ़ाई की डिग्री का प्रमाण पत्र मांगा। महिला सैलरी स्लिप नहीं दिखा पाई तो पति ने सेक्स करने से मना कर दिया। उसने कहा, सैलरी स्लिप दिखाओ तभी मैं सेक्स करूंगा।

न्यायमूर्ति कैलाश गंभीर ने फैसले में कहा कि विवाह एक महत्वपूर्ण घटना है। यह जीवन में खुशी व दुख की नींव और दो आत्माओं का मिलन है। विवाह पत्नी के नए जीवन की इच्छा के सपने पूरे करने का आधार है, लेकिन पति द्वारा पहली रात ही शारीरिक संबंध बनाने के लिए उसकी शैक्षिक योग्यता और रोजगार संबंधी प्रमाणपत्र मांगने से पत्नी के सारे सपने बिखर गए।

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पति ने ऐसी शर्त रख दी। इससे साफ है कि पति ने पत्नी से दूरी बनाए रखी और उसका रवैया वैवाहिक संबंध बनाने की अपेक्षा आय की तरफ था। यह आचरण नृशंसता और क्रूरता की श्रेणी में आता है। ऐसे में पत्नी को तलाक लेने का अधिकार है।

अदालत ने निचली अदालत द्वारा पत्नी को तलाक देने संबंधी फैसले को उचित ठहराते हुए पति के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने पति के उस आवेदन को भी खारिज कर दिया जिसमें पत्नी को उसके साथ रहने का निर्देश देने का आग्रह किया गया था।

दरअसल, पति ने नौकरी करने वाली पत्नी के लिए अखबार में विज्ञापन दिया था। दोनों का 28 मई, 2001 को विवाह हो गया। पत्नी ने आरोप लगाया कि पहली ही रात को पति ने शैक्षिक योग्यता व रोजगार संबंधी प्रमाणपत्र देने को कहते हुए तर्क रखा कि जब तक प्रमाणपत्र नहीं मिलेंगे वह शारीरिक संबंध नहीं बनाएगा। इतना ही नहीं उसे दहेज के लिए भी प्रताड़ित किया गया।

अंत में उसने मानसिक प्रताड़ना के आधार पर तलाक के लिए आवेदन किया और निचली अदालत ने 5 मार्च, 2003 को तलाक मंजूर कर लिया। पति ने हाईकोर्ट में आवेदन दायर कर फैसले को चुनौती दी। साथ ही माना कि उसने संबंध बनाने के लिए शर्त रखी थी क्योंकि पत्नी ने बायोडाटा में गलत तथ्य दे रखे थे।