तो टीपू से सुल्तान बन ही गये ‘अखिलेश यादव’

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पार्टी से लेकर पूरे सूबे में अपनी हनक कायम कर चुके नौजवान टीपू को आज सुल्तान घोषित कर ही दिया गया। अखिलेश के अब मुख्यमंत्री बनने में केवल शपथ की ही औपचारिकता बची है। उनके सिर समाजवादी पार्टी की जबरदस्त जीत का ताज है। यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी [आस्ट्रेलिया] से इनवायरनमेंट इंजीनियरिंग में मास्टर 38 साल के अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री होंगे।

अखिलेश यादव की वजह से समाजवादी पार्टी को इतिहास में पहली बार यूपी में अपने दम पर सरकार बनाने का मौका मिला। ये ऐसी कामयाबी है जो धुरंधर मुलायम के हिस्से कभी नहीं आई। वे भी मानते हैं कि इस सपने को पूरा होने के पीछे अखिलेश ही हैं।

38 साल के हो चुके अखिलेश का जन्म 1 जुलाई 1973 को हुआ था। पहली बार 1967 में विधायक बनने वाले मुलायम सिंह यादव उस वक्त तक समाजवादी नेता बतौर यूपी की राजनीति में जगह बना चुके थे। अखिलेश पहले धौलपुर के सैनिक स्कूल में पढ़ने गए और फिर उन्होंने मैसूर के जे.सी.इंजीनियरिंग कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के नए और सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री होंगे। शनिवार को चली विधायक दल की बैठक में उनके नाम पर सहमति बन गई और सभी ने सर्वसम्मति से उनके नाम के प्रस्ताव को पास कर दिया। उनके नाम का प्रस्ताव आजमखां ने रखा जिसका शिवपाल यादव ने अनुमोदन किया। अब अखिलेश जल्द ही सूबे के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले लेंगे।

उम्मीद की जा रही है कि उनके मंत्रीमंडल में युवा चेहरों को तरजीह दी जाएगी। इसके अलावा शिवपाल यादव को भी एक बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। वहीं आजमखां विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं। आज हुई सपा विधायक दल की बैठक में कई नेताओं ने भाग लिया। मीटिंग करीब सवा ग्यारह बजे शुरू हुई। बैठक के दौरान आजमखां ने अपना भाषण पढ़ते हुए अपने और मुलायम सिंह के गहरे संबंधों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि वह खुश है कि आज वह सपा प्रमुख के बेटे को सूबे की विरासत और उसकी कमान लेते हुए देख रहे हैं। जानकार भी मानते हैं कि भले ही आजमखां पार्टी से कुछ खटास के चलते बाहर चले गए थे लेकिन उन्होंने कभी कोई ऐसा कदम नहीं उठाया जिससे पार्टी की छवि को नुकसान हुआ हो। पार्टी में रहते हुए और पार्टी से बाहर रहते हुए भी वह हमेशा ही मुलायम का जिक्र बडे़ ही सम्मान के साथ करते रहे हैं।

हालांकि इससे पूर्व इस मुद्दे पर आजम और शिवपाल यादव में कुछ मतभेद सामने आए थे जिन्हें शुक्रवार रात हुई बैठक में सुलझा लिया गया। दरअसल शिवपाल यादव और आजम खां सपा मुखिया मुलायम सिंह को ही प्रदेश का मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते थे। लगातार वह मुलायम के ही नाम की रट भी लगा रहे थे। लेकिन खुद मुलायम सिंह के अखिलेश का नाम आगे करने पर और शुक्रवार की बैठक के बाद यह दोनों नेता मान गए।