फर्रुखाबाद: रिश्वत लेने वालों के भी रंग निराले हैं| दरोगा से तो दरोगाइन अच्छी निकली| दरोगा जी मुर्गा फसने पर भले ही सौ पचास से नीचे बात नहीं करते हो मगर उसकी पत्नी कितनी सहर्दय है उसने बच्चो से ड्रेस वितरण में केवल 10-10 रुपये ही रिश्वत ली| जिसके पास 10 नहीं थे तो 5 से काम चला लिया|
राजेपुर ब्लाक के पश्चिमी भाग में एक सरकारी प्राइमरी स्कूल में तैनात एक अध्यापिका ने बच्चो को ड्रेस वितरण में 10-10 रुपये की रिश्वत वसूली| ये आरोप उसी ग्राम सभा के प्रधान ने लगाया जिस ग्राम सभा में ये स्कूल पड़ता है| महिला प्रधान के पुत्र अनगपाल ने बताया कि मास्टरनी का पति जनपद में एक चौकी पर तैनात दरोगा है| पिछली बार जब स्कूल में गड़बड़ी की उसने शिकायत की थी तब अध्यापिका ने दरोगा जी से कहकर 151 में अन्दर भिजवा दिया था|
प्रधान पुत्र ने बताया कि इस स्कूल में एक महीने से एमडीएम भी बंद है| एम डी एम के पैसे में बंदरबाट को लेकर अध्यापिका ने चेक पर दस्खत करने से इनकार कर दिया तो बच्चे भूखे ही स्कूल से लौटने लगे| मंगलवार को स्कूल में ड्रेस का वितरण हुआ तो स्कूल में तैनात सहायक अध्यापिका ने बच्चो से 10-10 रुपये जमा कराये| जिसके पास 10 नहीं निकले तो 5 से भी काम चला लिया| जेएनआई के रिपोर्टर को ग्रामीणों ने अध्यापिका की तारीफ करते हुए बताया कि “भैया सस्ते में निबट गए दरोगा जी होते तो 100 से कम में काम न चलता”| बुरा हाल बेसिक शिक्षा का- सर से लेकर पाँव तक सब लक्ष्मीदास है|