Wednesday, January 1, 2025
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धर्मेन्द्र और मंजीत की हत्या के बाद भी पुलिस जागे, तो जानो सवेरा

फर्रुखाबाद:  निठारी काण्ड  के बाद उच्च न्यालय के आदेश के बावजूद पुलिस गुमशुदा बच्चों की तलाश के लिए गंभीर   नहीं हो पायी। फर्रुखाबाद में पहले धर्मेन्द्र और दो दिन बाद ही मासूम मंजीत की हत्या के बाद तो यही तस्वीर उभरती है। हत्या की बजह कुछ भी रही हो, पर यह सच है कि इनकी गुम्शुदगी के बाद पुलिस हरकत में आती तो शायद धर्मेन्द्र और मंजीत को जिन्दा बचाया जा सकता था। पर क्या अब भी पुलिस की नींद खुली है? ऐसा नहीं लगता।

वर्ष 2011 से लापता 13 बच्चों की तलाश के लिए पुलिस ने आज तक कोई होम-वर्क शुरू नहीं किया है। अलबत्ता पुलिस अधीक्षक मोहित गुप्ता सधी जुबान से इतना ही कहते हैं की इस मामले में उच्च न्यालय के आदेश का अक्षरशः पालन किया जायेगा।

27 फरवरी को जब एक बाग़ से मंजीत की लाश बरामद हुई तब उसके घर-परिवार वाले अचानक लापता हुए मंजीत की तलाश में ही जुटे थे। मंजीत के लापता होने के बाद पुलिस उसकी तलाश में सक्रिय नहीं हुई। मंजीत के पिता हीरा सिंह बताते हैं की वे बेटे की तलाश में जुटे थे की उन्हें बाग़ में बेटे की लाश होने की खबर मिली। मंजीत की हत्या के दो दिन पहले ही कायमगंज थाना क्षेत्र में धर्मेन्द्र की हत्या उसके ही दोस्तों द्वारा किये जाने की घटना का पर्दाफाश हुआ था। धर्मेन्द्र के गायब होने की सूचना तो पुलिस ने दर्ज कर ली पर यहीं पुलिस का काम ख़त्म मान लिया गया।

पुलिस अधीक्षक मोहित गुप्ता ने आनन् फानन में लापता चल रहे 13 बच्चों की तलाश तेज करने के आदेश तो जारी किया पर पुलिस की कार्यप्रणाली पर जून न रेंगा। इसकी गवाही देती है मंजीत की हत्या। पहले धर्मेन्द्र और फिर मंजीत की हत्या से पूर्व कायमगंज के 14 वर्षीय अजय कुमार, मोहम्मदाबाद के 14 वर्षीय अजीत, बरौन के 17 वर्षीय धीरज, धीरपुर के 7 वर्षीय हिमांशु,  भूसा मंडी के 13 वर्षीय आदिल, सिविल लाईंस के 16 वर्षीय गुलाब, ग्रानगंज के 12 वर्षीय परवेज आलम, राजेपुर के 15 वर्षीय सतीश, जहानगंज के 15 वर्षीय पंकज जैसे लापता बच्चों की तलाश के लिए भी पुलिस की नींद नहीं टूट  पायी। लापता राजन के पिता हरिओम  का बयान तो कमसे कम यही गवाही देता है।

पुलिस अधीक्षक मोहित गुप्ता कहते हैं कि इस मामले में उच्च न्यालय के आदेश का अक्षरसः पालन किया जायेगा। पुलिस अपनी कार्यप्रणाली न बदले पर वे माँ- बाप अपने को कैसे समझाएं जिनके कलेजे के टुकड़े उनसे दूर हुए और वे लौट कर घर न आये। धर्मेन्द्र और मंजीत की हत्या के बाद उनके दिलों की धड़कन और तेज होना लाजिमी है।

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