बंद स्कूल और गायब मास्टर हैं बी०एस०ए० के लिए अवैध वसूली का जरिया

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फर्रुखाबाद: दिनांक 27 फरबरी वर्ष 2012 जनपद के ब्लाक नवाबगंज का प्राथमिक पाठशाला ‘चंदनी’, सुबह 11.30 बजे का वक़्त 14 बच्चे और उन्हें घेरे बैठा शिक्षा मित्र संतोष कुमार| स्कूल में तैनात शिक्षक फिरोज खान नदारद| वक़्त 11 बजे जूनियर स्कूल ‘कुरार’ में कुल 7 बच्चे मौजूद मगर उन्हें घेरे रखने के लिए तैनात 3 मास्टरों में से एक भी नहीं मौजूद| कुरार का एमडीएम बंद है| तीन में से एक मास्टर अनिल कुमार यदा कदा आता है, दूसरे रामरतन और अजीत यादव तो मात्र पाक्षिक हाजिरी लगाने चले आते है| इस ब्लाक के स्कूलों को चेक करने की जिम्मेदारी भी घूसखोरी के लिए बेहद बदनाम सहायक अधिकारी नागेन्द्र चौधरी के पास है तो उनके बारे में कुछ भी पूछना और लिखना भी व्यर्थ है| एक बात और कुरार के स्कूल कैपस में ही आंगनबाड़ी केंद्र है जिस पर ताला लटका है| कार्यकत्री पप्पी देवी फर्रुखाबाद में रहती है किसी प्राइमरी स्कूल के मास्टर की पत्नी है वही सहायिका मिथलेश के बारे में कोई जानकारी तक नहीं मिल सकी| आँगनबाड़ी केंद्र भले ही न खुलता हो मगर नवाबगंज के आँगनबाड़ी ब्लाक रजिस्टर पर दर्ज आंकड़े बता रहे है कि इस केंद्र की पंजीरी समय से दी गयी और अन्य बजट भी| शायद पंजीरी जानवरों को नसीब हुई हो और उससे मिले पैसे से सहायिका और कार्य कत्री के घर की रोटी सिकी हो ये भी कोई बुरी बात नहीं किसी का तो पेट भरा| कुछ भी हो सकता है फिलहाल जिनके लिए थी उन्हें तो नहीं मिली क्यूंकि केंद्र पर ताला है|

ये दो द्रश्य जनपद फर्रुखाबाद की पूरी शिक्षा प्रणाली को भले ही शुशोभित न करते हो मगर विधायकी के लिए लगी लाइन में मौजूद 64 नेताओ के मुह पर तगड़ा तमाचा है| पूरे प्रदेश को विकास के रास्ते पर ले जाने की बकवास करने वाले नेता गरीबो और दलितों पिछडो के बहुलता वाले स्कूलों में मास्टर नहीं भिजवा सकता है|

सिक्के का एक पहलु अगर ये है तो दूसरा ये कि स्थानीय समाचार पत्रों में अपने दौरों और गायब शिक्षको की कारवाही के इस्तहार रुपी खबरे छपवाने वाला बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ कौशल किशोर छापामारी का काम केवल और केवल अवैध धन की वसूली के लिए कर रहा है| चूंकि ये अफसर यह बताने में नाकाम है कि पिछले एक साल में कितने मास्टरों का वेतन काटने से कितने धन की बचत हुई है| डॉ कौशल किशोर और उसका एक सहायक बाबू दोनों इस गोरखधंधे को बड़े बेख़ौफ़ होकर चला रहे है और जिले के जिलाधिकारी सच्चिदानंद दुबे को चुनाव से फुर्सत नहीं है जिनके कंधे पर ये जिम्मेदारी भी है कि जिले में स्वास्थ्य, शिक्षा, विकास, कानून व्यवस्था आदि सब ठीक ठाक चलना चाहिए| हद हो गयी, बाकी के अधिकारी अपने अपने में मस्त है|

दरअसल डॉ कौशल किशोर और उनकी बाकी टीम का एक मात्र काम बेसिक शिक्षा विभाग की विभिन्न मदों में आये धन को कैसे खर्च किया जाए इस पर दिमाग लगाने का है| बच्चे भाड़ में जाए उनकी बला से| कोई शिकायत मिली तो नोटिस जारी और बाकायदा इसकी खबर अखबार में छपवाई जाती है| अखबार वाला भी एक बार खबर छपने के बाद दुबारा नहीं पूछता कि अमुक खबर जो छपी थी उसमे अग्रिम क्या हो रहा है| कई बार तो केवल खबर छप रही है नोटिस तक सर्व नहीं हो रहा है| नोटिस सर्व होने से पहले कौशल के दलाल बाबू तक माल पहुच रहा है| बात ख़त्म हो रही| नौकरी सरकारी नौकर और पत्रकार दोनों की चल रही है उद्देश्य जूते के तलवे तले बदहाल साँसे गिन रहा है|