मासूमों की जिंदगी से खिलवाड़ से बाज नहीं आ रहे तथाकथित अंग्रेजी स्कूल

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फर्रुखाबादः विद्या का मंदिर कहे जाने वाले अंग्रेजी स्कूलों ने तो मानो यह ठान लिय है कि अब स्कूल में विद्या नहीं वल्कि किसी तरह से पैसा कमाने का जरिया मिले। वह जरिया बच्चों के बजीफे के साथ खिलवाड़ हो या अभिभावकों से वाहनों के लिए अवैध वसूली किसी तरह से सिर्फ पैसे की उगाही में जुटे यह शिक्षा के ठेकेदार पैसे कमाने के चक्कर में यह तक भूल जाते हैं कि इन मासूमों को इस तरह से भरे बाजार भूसे जैसा भरकर टेंपो व रिक्शा आदि से भेजा जाता है। यदि कहीं कोई बड़े वाहन की हवा तक लग जाये तो इसका जबाव कौन देगा ?………………………यह सोचने वाली बात है। यह बात सोचने वाली है कि क्या बच्चे पर बस्ते का लोड, बच्चों का रिक्शे पर लोड व रिक्शे का चालक पर लोड। पर क्या इन सब पर स्कूल प्रशासन का लोड?

जे एन आई ने जब रिक्शे में भूसे जैसे भरे बच्चों को देखकर जब रिक्शा चालक से पूछा कि इस तरह से बच्चों को भरने का क्या कारण है। तो रिक्शा चालक बेखौफ होकर तपाक से बोला कि कारण वारण तो स्कूल वाले जाने, हमें तो बच्चे ढोने के पैसे मिलते हैं तो दो चक्कर न मारकर एक ही चक्कर में पूरा काम निबटा लेते हैं।

एक स्कूल संचालक से जब जे एन आई की बात हुई तो उन्होंने इस बात से साफ इंकार कर दिया कि उनके स्कूल के बच्चे इस तरह से भरकर आते हैं। विद्यालय के खुलने के दौरान व बंद होने के समय हर सड़क पर आपको यह चित्र देखने को मिल जायेगा। दृश्य देखकर आदमी दांतों तले उंगली दबा जाये कि जहां एक रिक्शे पर दो आदमी बैठने में भी दिक्कत होती है वहीं यह रिक्शा चालक स्कूल संचालाकों की मिलीभगत से इतने इत्मीनान से दर्जन भर बच्चे एक ही रिक्शे पर बैठा लेते हैं। रिक्शे के इधर-उधर, आगे पीछे बस बच्चे लटक भर जायें। इन्हें मासूमों की जिंदगी की परवाह न होकर बस फटाफट अपना-अपना काम निबटाने की जल्दी रहती है।

रिक्शे ही नहीं इससे भी बड़ा खतरा विद्यालयों में बच्चे ढोने के लिए चल रहीं गैस द्वारा संचालित वाहन की है। गैस संचालित कई वैन बेरोकटोक बच्चे ढो रहे हैं। बीते 4 फरवरी को माडर्न स्कूल का छात्र वैन में आग लगने से बुरी तरह झुलस गया था। यह एक घटना नहीं ऐसी प्रति माह कहीं न कहीं घटनायें होती रहती हैं। फिर भी प्रशासन व स्कूल संचालक घटना होने के बाद सिर्फ एक ही राग अलापता है कि यह घटना हमसे सम्बंधित नहीं है।

प्रशासन की अनदेखी के चलते शहर में दर्जनों वाहन बगैर गैस पास के संचालित हो रहे हैं। लेकिन प्रशासन की नजर इस तरफ क्यों नहीं आ रही है ?…………….