Friday, December 27, 2024
spot_img
HomeUncategorizedचुनाव प्रचार में विज्ञापन का खर्च बचाने को पेड-न्यूज का सहारा

चुनाव प्रचार में विज्ञापन का खर्च बचाने को पेड-न्यूज का सहारा


फर्रुखाबाद: मतदान की तारीख नजदीक आते ही प्रत्याशियों में प्रचार की ललक बढ़ गयी है। स्टार प्रचारकों के दौरों के साथ ही प्रत्याशियों की प्रचार की जरूरत बढ़ गयी है।निर्वाचन आयोग की ओर से निर्धारित व्यय सीमा के चलते समाचार पत्रों में विज्ञापन के स्थान पर अब पेड.न्यूज का धंधा फिर जोर मारता दिख रहा है। चुनावी लड़ाई में शामिल प्रत्याशियों में प्रचार में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ लगी है।

यह आयोग की बंदिशों का ही असर था कि इस बार प्रचार में न बैनर पोस्टर दिखे और न झंडे व लाउडस्पीकर का शोर। यहां तक कि जुलूस में जिंदाबाद, जीतेगा भई जीतेगा .. जैसे नारे भी चुनाव प्रचार में सुनायी नहीं दिए। अब तक मतदाताओं को गाड़ियों की लंबी कतारों और नारों से रंगी सार्वजनिक भवन की दीवारों से भी मुक्ति मिली रही। स्टार प्रचारकों के दौरों में भी आयोग का खौफ साफ नजर आया। आचार संहिता लागू होने के बाद से ही प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार पर अब तक आयोग का खौफ हावी रहा। प्रशासन प्रत्याशियों के पक्ष में चुनावी सभाएं करने वाले स्टार प्रचारकों की सभाओं में हुई सभी गतिविधियों की वीडियोग्राफी करा रहा है। प्रत्याशियों को चूंकि अपने चुनाव खर्च का ब्योरा भी जमा करना है। इससे भी प्रत्याशी प्रचार में दिखावे से बच रहे हैं। अब तक प्रत्याशी अपने सीमित समर्थकों के साथ मतदाताओं से घर-घर जनसंपर्क कर वोट मांग रहे थे। 19 फरवरी को मतदान तिथि नजदीक आते ही प्रत्याशियों की धड़कनें बढ़ गयी हैं। समाचार पत्रों में विज्ञापन देने पर न्यूनतम डीएवीपी दरों पर खर्च जोड़ने के चुनाव आयोग के फरमान के चलते अब प्रत्याशी पेड-न्यूज जैसे विकलों पर फिर से लौटने लगे हैं। सूत्रों की माने तो पांच-पांच लाख तक के पैकेज तय हो गये हैं। एक प्रत्याशी का कहना है कि चुनाव में वोट न मांगने पर अपने वोटर भी बुरा मान जाते हैं। इसलिए समाचर पत्रों में छपते रहने के लिये कुछ तो करना ही पड़ेगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments