अब से 60 वर्षों तक 15 जनवरी को पड़ेगी मकर संक्रांति

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प्रतिवर्ष 20 सेकंड बढ़ रही है सूर्य की गति: विगत 60 वर्षों से मकर संक्रांति 14 जनवरी को पड़ती आ रही थी। इस वर्ष सूर्य की गति बदलने के कारण सूर्य का मकर राशि में संक्रमण 14 जनवरी की आधी रात को होगा। अब से आगामी 60 वर्षों तक यही स्थिति बनी रहेगी और मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी को पड़ेगा। 431 वर्ष बाद मकर संक्रांति पूरे एक सप्ताह आगे बढ़ जाएगी। ज्योतिषीय आकलन के अनुसार सूर्य की गति प्रतिवर्ष 20 सेकंड बढ़ रही है। अत: प्रतिवर्ष क्रांतिवृत्त में 20 मिनट का अंतर आ रहा है। क्रांतिवृत्त इस समय 41.48 डिग्री पर है। यह बढ़ते-बढ़ते 30 डिग्री तक जा सकता है। शीत ऋतु के आगे बढ़ने का भी यही कारण है। पहले शीत अक्तूबर में शुरू होती थी, परंतु सूर्य की गति बढ़ने से अब शीत का आरंभ दिसंबर में होने लगा है। पहले मकर संक्रांति 12 जनवरी और बाद में 13 जनवरी को पड़ा करती थी। 60 वर्षों से मकर संक्रांति 14 जनवरी को पड़ रही है। इस वर्ष से मकर संक्रांति 15 जनवरी को पड़ने लगेगी। आगामी वर्षों में पुण्य काल 15 जनवरी को ही माना जाएगा। चूंकि इसी वर्ष संक्रमण बदला है, अत: इस बार 14 और 15 जनवरी दोनों ही दिन मकर संक्रांति का स्नान माना जाएगा। सूर्य की गति के कारण संक्रांति की तारीख बदल रही है। अगले 60 वर्ष बाद मकर संक्रांति 16 जनवरी को पड़ेगी। इस प्रकार 431 वर्षों में मकर संक्रांति एक सप्ताह आगे बढ़ जाएगी। बाद में सूर्य गति के चलते तिथियां वापस लौटना शुरू करेंगी। पंडित विपिन पाराशर ने बताया कि संक्रमण वर्ष होने के चलते इस साल 14 और 15 दोनों तारीखों को गंगा स्नान किया जा सकता है। अलबत्ता जो लोग सूर्य के मकरस्त होने के संक्रमण के बाद स्नान करना चाहते हैं उनके लिए मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी को दोपहर एक बजे तक रहेगा। ज्योतिषीय दृष्टि से पुण्य काल 15 जनवरी को भी माना जाएगा।