Thursday, January 16, 2025
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घोटाले में एसपी रह चुके वर्तमान डीआईजी का 18 साल बाद जेल जाना तय

18 साल पहले 18 लाख रुपये से अधिक के घोटाले में जनपद में एसएसपी रह चुके व वर्तमान में डीआईजी पद पर तैनात आईपीएस अधिकारी अखिलेश मेहरोत्रा का जेल जाना लगभग तय हो गया हैं। पुलिस भर्ती घोटाले के भी आरोपी रहे पूर्व डीआईजी अखिलेश मेहरोत्रा के सितारे गर्दिश में हैं। यही वजह है कि उनकी तमाम कोशिशें नाकाम रही हैं। अब 18 साल पहले किए गए घोटाले में जेल जाने की नौबत है। पुलिस एक बार घर पर दबिश भी दे चुकी है। अदालत भी वारंट जारी करने जा रही है। यह वही अखिलेश मेहरोत्रा हैं जो जनपद फर्रुखाबद में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात रह चुके हैं। उन्हीं के कार्यकाल में पूर्व मंत्री बृह्मदत्त द्विवेदी की हत्या हुई थी।

जो दरोगा कल तक सेल्यूट मारते नहीं थकता था अब वही डीआईजी साहब को गिरफ्तार करने के लिए उनके घर की घंटी तक बजा चुका है। हालांकि डीआईजी साहब घर पर नहीं मिले। विदित है कि 1973 बैच के पीपीएस अफसर अखिलेश मेहरोत्रा जब 1993-94 में फैजाबाद में बतौर एएसपी तैनात थे, तब कार्तिक मेले में टेंट लगाने के ठेके में 18 लाख रुपये से अधिक की अनियमितता हुई थी। मामला पकड़ में आया तो जांच हुई, जांच में आरोप भी सही पाया गया। लेकिन तब सपा शासनकाल था और यह तय हुआ कि आरोपी अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जाए। डीजीपी मुख्यालय और शासन के बीच इसी बात को लेकर पत्राचार होता रहा कि वृहद विभागीय कार्यवाही की जाए या लघु। इस बीच, सत्ता बदल गई और 2007 में बसपा की सरकार आ गई। तब यह तय हुआ कि प्रकरण में आईपीसी का जो मामला है, उसमें तो विभागीय कार्यवाही की बात बन सकती है, लेकिन भ्रष्टाचार के मामले में जांच और कार्यवाही दोनों ही होनी चाहिए। अधिकारियों के बदलने के साथ ही इस मामले की दोबारा जांच कराने का फैसला किया गया। जांच ईओडब्लू के तत्कालीन एडीजी विभूति नारायण राय को सौंपी गई। एडीजी ने मामले की जांच आईजी आरएन सिंह को दे दी। बाद में यह जांच आईजी जेएल त्रिपाठी को दे दी गई। फिर से हुई जांच में भी तत्कालीन एएसपी अखिलेश मेहरोत्रा दोषी पाए गए।

 

जांच में पाया गया कि अखिलेश मेहरोत्रा ने टेंट लगाने का ठेका जिस फर्म को दिया, उसके रेट तो दूसरी फर्म से कम थे, लेकिन बाद में इसे ‘पर डे पर टेंट’ में बदल दिया गया। इस तरह लाखों का बिल बनवाया और उसका भुगतान भी करा दिया गया। अखिलेश मेहरोत्रा ने ही बिल पास किया और भुगतान सुनिश्चित कराया। ईओडब्लू ने जांच पूरी कर शासन को अभियोजन स्वीकृति के लिए भेज दी। इस बीच कुछ ऐसा हुआ कि कार्यवाही करने के लिए शासन से इसे केंद्र को भेज दिया गया। अखिलेश मेहरोत्रा आईपीएस अधिकारी हैं, लिहाजा उनके खिलाफ कार्यवाही की अनुमति केंद्र सरकार देगी। जबकि नियम यह है कि अपराध अगर राज्य सेवा में रहते हुए किया गया है तो राज्य सरकार से ही अनुमति ली जाएगी। ईओडब्लू ने अनुमति मिलने के बाद पिछले सप्ताह महानगर कोतवाली को अखिलेश मेहरोत्रा को गिरफ्तार करने के लिए आदेश भी जारी कर दिये थे। महानगर क्षेत्र में रहने वाले पूर्व डीआईजी के घर पर कोतवाली से एक दारोगा गया भी पर वापस लौट आया। ईओडब्लू ने फैजाबाद की सक्षम अदालत में अखिलेश मेहरोत्रा की गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी करने के लिए दरख्वास्त दे रखी है। अदालत में वारंट जारी करने के मामले में गुरुवार 22 दिसंबर को सुनवाई है। ईओडब्लू के अधिकारियों का कहना है कि अदालत से वारंट जारी होने की संभावना है।

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