Saturday, January 4, 2025
spot_img
HomeUncategorized400 साल से मनाई जाती है खूनी दीपावली

400 साल से मनाई जाती है खूनी दीपावली

बदायूं। द्वीप पर्व दीवाली जहां हर्ष और उल्लास का प्रतीक है वहीं उत्तर प्रदेश के बदायूं स्थित छोटे कस्बे में इस त्यौहार का खूनी रूप देखने को मिलता है। देश की अजीबोगरीब परम्पराओं में जहां बृज की लठमार होली प्रसिद्ध है, वहीं बदायूं जिले के फैजगंज बेहटा कस्बा में 400 वर्षो से पत्थरमार दीवाली मनायी जा रही है। इस परम्परा में यहां छोटी दीवाली के दिन दो गांवों के सैंकड़ों लोग आमने-सामने खुले मैदान में एक दूसरे पर ईंट,पत्थरों और लाठी डंडों की बरसात करते हैं।

इस रस्म में काफी संख्या में लोग घायल भी होते हैं। फैजगंज बेहटा कस्बे में दीपावली को इस ढंग से मनाने की परम्परा लगभग 400 साल पुरानी है। अर्से से इस खूनी दीवाली के गवाह बन रहे इलाके के बुजुर्गो के अनुसार इस परम्परा की शुरुआत उस वक्त हुई थी जब फैजगंज गांव वजूद में ही नहीं था। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार गंगपुर व मिर्जापुर बेहटा के लोगों के बीच फैजगंज को आबाद करने के लिए अनेक बार युद्ध हुआ था, लेकिन गंगपुर वालों को हमेशा पराजय ही मिली।

एक बार छोटी दीवाली के दिन गंगपुर व मिर्जापुर बेहटा के बीच जबरदस्त पथराव हुआ, जिसमें गंगपुर वासियों ने मिर्जापुर में रहने वाले लोगों को खदेड़ दिया और उसी दिन फैजगंज आबाद हो गया।हालांकि यह जंग मैदान में मुकबिल हुए लोगों के दिलों को और करीब लाती है और वे पथराव में घायल हुए लोगों का हाल-चाल पूछने के लिये एक दूसरे के घर जाते हैं।

फैजगंज को आबाद हुए कई शताब्दियां बीच चुकी है, लेकिन छोटी दीवाली के दिन फैजगंज और बेहटा गांव के निवासी आमने-सामने पथराव कर शक्ति परीक्षण की उस परम्परा को आज भी कायम रखे हुए हैं। छोटी दीवाली के दिन दोपहर से आरम्भ होने वाले इस परम्परागत युद्ध पर रात लगभग आठ बजे विराम लगता है। पुलिस का कहना है कि इस परम्परागत लड़ाई में लोग कभी-कभी बहुत गंभीर रुप से भी घायल हो जाते है, लेकिन कभी कोई एक-दूसरे के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज नहीं कराता है। इसीलिए प्रशासन इस अनोखी परम्परा का विरोध भी नहीं करता है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments