फर्रुखाबाद: जिले की सड़कों पर डग्गामार वाहन मौत बनकर दौड़ रहे है। अक्सर आगे बढ़ने के चक्कर में ये अपनी रफ्तार क्षमता से अधिक बढ़ा देते है और ऐसे मे दुर्घटना होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। वही ग्रामीणांचलों में रोडवेज बसों के न चलने से इन्हीं का बोलबाला रहता है और यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। डग्गामारी को बंद करने को लेकर शासन-प्रशासन भले ही प्रयासरत हों लेकिन पुलिस विभाग इस पर अंकुश लगाता नजर नहीं आ रहा है। डग्गामार वाहन चालक वाहनों को बीच सड़क पर खड़ा कर सवारियों को भरते हैं और पुलिस प्रशासन मूकदर्शक बना रहता है।
अगर हम नहीं दौड़ेंगे उस पथ पर ऐसे ………. जिस पथ पर पल पल पर मौत है …….
क्योंकि हमें जाना हैं दूर ……….. ना की जिंदगी से दूर …………………
आज हर इंसान को जल्दी है , कभी ऑफिस पहुँचने की तो कभी घर पहुँचने की , कभी अपनी मंजिल पर पहुँचने की तो कभी महबूबा से मिलने की जल्दबाजी , कभी एक दुसरे से आगे निकलने जल्दबाजी , और जल्दबाजी हम कहाँ दिखाते हैं सड़कों पर जी हाँ सड़कों पर जहाँ इंसान की एक गलती उसकी या किसी अन्य की जान पलक झपकते ले लेती है और वो भी सिर्फ जल्दबाजी और हमारी गलत आदतों की वजह से !
मैं यहाँ आज इंसान की उन आदतों की बात कर रहा हूँ जो हम कभी नहीं सुधारते और हर बार ऐसी गलतियाँ करते हैं जो इन्सान शायद कभी नहीं भूल पाता ! मैं यहाँ बात कर रहा हूँ हमारे यातायात के नियमों की वो नियम जो हमारे जीवन को बचाने के लिए हमारी सुरक्षा के लिए बनाये गए हैं ! जिनका अनुशरण करने से हमें जिंदगी मिलती हैं और उनकी अनदेखी और अवहेलना करने पर मिलती हैं मौत ! जब से इस देश में इंसानी जनसँख्या की तरह वाहनों की संख्या बड़ी है तब से लेकर आज तक लाखों लोग सड़क हादसों में काल का ग्रास बन चुके हैं ! इन रोज रोज होने वाले सड़क हादसों में ना जाने कितने ऐसे लोगों को यह सड़कें अपना ग्रास बना चुकी हैं जिन्होंने सड़क पर चलते हुए उन नियमों को दरकिनार किया जो उसकी जान बचा सकते थे !
आज इन्सान को इतनी जल्दी होती है कि वह भूल जाता है वो सारे नियम कानून जो उसकी सुरक्षा के लिए बनाये गए हैं ! आज की युवा पीढ़ी तो सड़कों पर रेस लगाती है वो भी पहले मौत पाने की ! आज हमारी गलतियों कि सजा हमारे परिवार को भुगतनी पड़ती है वह भी जीवन भर ! इन हादसों ने कभी ना कभी हमें एक सन्देश दिया है और आगाह जरूर किया होगा तो फिर क्यों नहीं सुधारते हम अपनी गलतियाँ ! हम क्यों भाग रहे हैं मौत के पीछे ? आज रोज रोज होती गलतियों से कितने मासूम अनाथ हो गए ? कितने बूढ़े माँ-बाप आज जी रहे हैं अपने जवान बच्चों की मौत के गम में !
आज कितनी दुल्हने ऐसी हैं जो सिर्फ एक दिन की दुल्हन बन कर रह गयी और लुट गयी उनकी खुशियाँ सिर्फ इन सड़क हादसों में ! आज का युवा तो इतना जोश में होता है जिसे किसी की परवाह ही नहीं होती है ! कोई नियम कानून की उसे परवाह नहीं करता और इन सडकों को बना लेता है रेश का मैदान और अंधों की तरह भागता है इन सड़कों पर मौत की बाजी लगाने को ! युवाओं ना दौड़ें अपनी ही मौत की तरफ !