Friday, January 10, 2025
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विक्रम बेताल- भाजपा की पीठ से बाबा का व्यवसायिक प्रचार

**कांग्रेस विरोध का झांसा या सौदा**

फर्रुखाबाद: गांधी जयंती के अवसर पर यहां क्रिश्चयन इंटर कालेज ग्राउंड  पर आयोजित योग शिविर के दौरान बाबा रामदेव ने अपने उत्पादों का जमकर प्रचार किया। शिविर के दौरान योग व उनके पतंजलि आयुर्वेद लि. के उत्पादों का कठिन अभ्यास से अर्जित अपने शरीर पर नियंत्रण व शारीरिक लोच का सफल सजीव प्रदर्शन कर भरपूत विज्ञापन किया। अपने हास्यपूर्ण संबोधन के दौरान उन्होंने कई बार अपनी कंपनी के शिलाजीत व च्यवनप्राश से लेकर टूथपेस्ट तक का काफी चतुराई से नाम लिया। शिविर की समाप्ति के बाद उनके साथ आये आयुर्वेदिक औषधियों के चार ट्रक से दवाओं की खरीद के लिये लोगों की भीड़ ने बाबा के सफल “प्रमोशन” का प्रमाण दे दिया।

भगवा वस्त्र धारी बाबा ने भजनों और देवी देवताओं के जयघोष के बीच पूरे भाषण के दौरान कांग्रेस विरोध की सधी हुई चुटकियों के बीच भक्तों की तालियां तो बजीं पर कहीं भी आर-पार की लड़ाई का अभास नहीं होने दिया। हर करारे वार के बाद बाबा यह कहने से नहीं चूके कि यदि कांग्रेस अपनी नीतियों में संषोधन करले तो वह कांग्रेस के प्रचार के लिये तैयार हैं। महात्मा गांधी की महिमा को भी बाबा ने हर कदम पर साथ रखने का प्रयास किया। कांग्रेस विरोध के नाम पर भाजपा या किसी अन्य पार्टी का समर्थन करने के विषय में स्थित साफ करने के बजाय बाबा अपने चिरपरिचित अंदाज में एक आंख दबा कर अर्थपूर्ण ढंग से बस हंस दिये।

बाबा रामदेव की स्वाभिमान यात्रा के पड़ाव के तौर पर फर्रुखाबाद का चयन निश्चत रूप से सलमान खुर्शीद के संसदीय क्षेत्र होने के कारण किये जाने का स्पष्ठ इशारा बाबा ने अपने संबोधन के दौरान खुल कर किया। केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद को अंग्रेजों के जमाने के कानूनों में परिवर्तन न करने के लिये अंग्रेजों का कानून मंत्री तक कह डाला। परंतु शिविर के दौरान जो कुछ हुआ या कहा गया उसका उद्देश्य राजनैतिक से अधिक आर्थिक ही नजर आया। कठिन अभ्यास से अपने शरीर की चिकनी मांस पेंशियों (Smooth Muscles) पर अर्जित नियंत्रण व शारीरिक लोच का प्रदर्शन, जिसे आम आदमी आज तक केवल टीवी पर देखता आया था, सजीव देख कोतूहल का विषय रहा। बाबा की हास्य विनोद पूर्ण संबोधन शैली के चलते खूव तालियां भी बजीं। एक दो लोगों ने खड़े होकर बाबा के योग व उनके उत्पादों की विस्मयकारी प्रशंसा भी की।

राजनैतिक दलों के नेताओं के द्वारा यद्यपि बाबा के कार्यक्रम से आंगणित दूरी (Calculated Distance) बनाकर रखी गयी थी। परंतु जिस तरह से शनिवार सांय भाजपा के लोगों के सहयोगे से उनके प्रवास की व्यवस्था की गयी या रविवार को इसी पार्टी से संबंधित एक परिवार के प्रबंधतत्र वाले कालेज में उनकी विशेष सभा का अयोजन किया गया उससे समझने वालों के लिये संदेश साफ ही था। इसी संदेश के चलते भगवा वस्त्रधारी बाबा के कांगेस विरोधी स्वरों के बीच आने वाले भक्तों में उत्सुक दर्शकों के अतिरिक्त पार्टी से जुड़े लोगों की भरमार साफ नजर आयी। ऐसा लगा मानों भीड़ या उपभोक्ता जुटाने के लिये बाबा ने भगवा रंग का केवल उपयोग मात्र किया। क्योंकि संबोधन के दौरान उन्होंने कांगेस विरोध को भी काफी CALCULATED रखा। हद तो यह है कि मीडिया कर्मियों द्वारा घेरे जाने पर भी बाबा ने यह नहीं बता कर दिया के उनके अनुयायी आखिर वोट किसे दें।

हर घिरने वाले सबाल के जवाब में बस एक अर्थ पूर्ण मुसकुराहट। काफी कुरेदने पर बस इतना कहा कि वह आगामी लोक सभा चुनाव में ईमानदार प्रत्याशियों की सूची जारी कर देंगे। यह पूछे जाने पर कि उनकी आर्थिक नीतियों को अभी तक किसी पार्टी ने अपने एजेंडे में शामिल नहीं किया है, फिर आखिर “व्हिप” की बेड़ियों से जकड़े उनके ईमानदार सांसद क्या कर सकेंगे, वह अपने विशिष्ट अंदाज में आंख दबाकर हंस दिये। आम तौर पर विनोदपूर्ण मुद्रा में रहने व हास्यासन की वकालत करने वाले बाबा रामदेव का मूड कुछ छड़ों के लिये “अन्ना” के नाम पर खराब हो गया। पहले तो बोले कि मैं अन्ना का प्रवक्ता नहीं हूं, उनके बारे में उन्हीं से पूछें। फिर थोड़ा संभले और बोले कि लोकपाल सहित एक मजबूत भ्रष्टाचार विरोधी व्यवस्था होनी चाहिये, परंतु लोकपालबिल के समर्थन के प्रश्न पर फिर उखड़ गये, बोले आप अपने शब्द मेंरे मुंह में नहीं रख सकते, बस।

जाहिर है कि बाबा परदे के पीछे से सहयोग करने वाली पार्टी के समर्थकों का उपयोग केवल लक्षित उपभोक्ता (Targeted Customer) के लिये कर रहे हैं। स्वाभिमान यात्रा के दौरान दूसरे राजनैतिक दलों का कांगेस विरोध के नाम पर लाभ ले रहे हैं, और अपनी छवि की दुहाई देकर काफी चतुराई से सार्वजनिक तौर पर दूरी भी बनाये रखने में सफल हैं। परंतु उनके भाषण के दौरान उनकी कंपनियों के उत्पादों का उल्लेख व उनके काफिले के साथ चल रहे चार ट्रक दवाओं के भंडार से हकीकत खुल कर सामने आ जाती है।

आखिर हो भी क्यों न? करीब 45 ऐसी कंपनियां हैं, जिनमें बाबा रामदेव के खास आचार्य बालकृष्ण और मुक्ता नंद, डायरेक्टर, मैनेजिंग डायरेक्टर या एडिशनल डायरेक्टर की हैसियत से काम कर रहे हैं। पतांजलि आयुर्वेद लिमिटेड के डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण हैं। इसके अलावा 11 ऐसी कंपनियां हैं, जिसमें मुक्ता नंद डायरेक्टर हैं। मार्च में ही उन्हें एक और कंपनी पतांजलि बायो रिसर्च इंस्टीट्यूट प्राइवेट लिमिटेड का भी डायरेक्टर नियुक्त किया गया है। हाल ही में अमेरिका ने  बाबा के ट्रस्‍ट के तहत चलने वाली कंपनियों में बनी कई दवाओं को अपने यहां जाने  नहीं दिया था। इनमें से एक दवा शिलाजीत रसायन भी है। बाबा का दावा है कि यह पुरुषों की यौन ताकत बढ़ाने वाली दवा है। पतांजलि आयुर्वेद लिमिटेड ने आंवला चूर्ण भी जहाज से अमेरिका भेजा था, लेकिन इसे भी 21 जनवरी 2011 को रोक लिया गया। अमेरिका के फूड एंड ड्र्ग्स एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने इन दवाओं को अमेरिका में बिकने लायक नहीं बताते हुए खारिज कर दिया था। एक साल में करीब आठ बार एफडीए रामदेव से जुड़ी कंपनियों में बनी कई दवाओं को खारिज कर चुका है। इसके अलावा देश भर में करीब दो हजार क्लीनिक/ अस्पताल हैं।

बाबा को इन भारी मुनाफे वाली दवाओं की मार्केटिंग के लिये उपभोक्ता तो चाहिये ही। परंतु लगता है कि वह इनको अन्य दवा कंपनियों की तरह प्रतिस्पर्द्धी दरों पर खुले बाजार में नही बेचना चाहते है। स्वभाविक कारणों से वह इन दवाओं को दिव्यता के आवरण में ढंक कर स्वनियंत्रित प्रणाली से मनमाफिक दरों पर ही बेचना चाहते हैं। तो फिर यह सब तो करना ही पड़ेगा। यात्रा व शिविरों को राजनैतिक रंग (Tint) देकर अन्य कंपनियों के व्यवसायिक हितों को भी साधे ले रहे हैं।

 

 

 

 

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