Saturday, January 11, 2025
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मोअल्लिम-ए-उर्दू के शिक्षक बनने की राह में बाधा बनी उम्र

लखनऊ: राज्य सरकार ने मोअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों के उर्दू शिक्षक बनने में आड़े आ रही कानूनी अड़चन को भले ही दूर कर दिया हो इससे उनका रास्ता आसान नहीं हुआ है। लंबे समय से हक हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहे मोआल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों के शिक्षक बनने की राह में उम्र बाधा साबित होगी।

मोअल्लिम-ए-उर्दू का प्रशिक्षण पाने वाले अभ्यर्थियों को राज्य सरकार ने वर्ष 1997 तक बीटीसी की समकक्षता प्रदान की थी। 11 अगस्त 1997 को सरकार ने शासनादेश जारी कर इस समकक्षता को समाप्त कर दिया था। सरकार के इस फैसले के खिलाफ मोअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। उच्च न्यायालय ने दो याचिकाओं की सुनवाई करते हुए उनमें पारित आदेशों में 1997 से पहले मोअल्लिम-ए-उर्दू प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके अभ्यर्थियों को उर्दू अध्यापक के तौर पर नियुक्त किये जाने के योग्य माना। उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुज्ञा याचिका (एसएलपी) दाखिल की थी जिसे मुख्यमंत्री मायावती के हस्तक्षेप के बाद हाल ही में वापस ले लिया गया है।

इस बीच राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने 23 अगस्त 2010 को अधिसूचना जारी कर प्राथमिक और उच्च प्राथमिक कक्षाओं में शिक्षकों की भर्ती के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को अनिवार्य कर दिया। इसलिए शासन ने 11 अगस्त 1997 से पहले मोअल्लिम-ए-उर्दू की उपाधि हासिल करने वालों या अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के डिप्लोमा इन टीचिंग उपाधिधारकों को टीईटी में शामिल होने का आदेश जारी कर दिया है। इसके बावजूद मोअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों की दुश्वारी कम नहीं हुई है। यदि वे एनसीटीई की मंशा के अनुसार टीईटी उत्तीर्ण भी कर लेते हैं तो शिक्षक बनने की राह में उनकी उम्र आड़े आयेगी।

बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक के पद पर नियुक्ति के लिए उप्र अध्यापक सेवा नियमावली, 1981 के प्रावधानों को पूर्ण करना जरूरी है। नियमावली के अनुसार परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक नियुक्त होने के लिए अभ्यर्थी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और अधिकतम 35 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। मोअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारक 1997 से पहले प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। संभावना है कि वर्तमान में ज्यादातर मोअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारक 35 वर्ष से अधिक उम्र के हो चुके होंगे। उम्र अधिक होने के कारण मौजूदा नियमों के तहत वे शिक्षक नियुक्त नहीं हो सकते।

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