Thursday, December 26, 2024
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बेसिक शिक्षा का कारनामा, एक मृतक पर तीन-तीन आश्रितों की नियुक्तियां

फर्रुखाबाद: डीएम के आदेशों पर होने वाली जांचों को भी अधिकारी ठन्डे बस्ते में डालकर बैठे है| लगता है कि बेसिक शिक्षा के कर्मचारियों को कोई परवाह नहीं है| जिसका एक उदाहरण प्रेमलता देवी की शिकायत है। प्रेमलता देवी ने २५ अप्रैल २०११ व  ७ मई २०११  में जनता दर्शन तहसील दिवस के द्वारा जिला अधिकारी को शिकायत सौंपी| जिलाधिकारी ने तत्काल प्रकरण की जांच जिला विकास अधिकारी को सौंपी। लेकिन वहाँ तो राई का पहाड़ निकला| प्रेमलता के अनुसार बीएसए कार्यालय भ्रष्टाचार का वट वृक्ष है जिसमे रिश्वतखोरी व फर्जीबाड़े के फल लगे हुए हैं|

प्रेमलता ने शिकायत की थी कि मृतक आश्रित पटल पर सं १९९० से २००५ तक कार्यरत रहे वरिष्ठ सहायक मनोज श्रीवास्तव इस कार्यालय में बिगत २३ वर्षों से तैनात हैं।  ६ जून २००३  के निर्देश के बावजूद इनका अन्य जनपद /मंडल में स्थानातरण नहीं किया गया|

प्रेमलता की ओर से की गयी शिकायत के अनुसार

१- स्वर्गीय देवेन्द्र तिवारी के मृतक आश्रित के तौर पर दो पुत्र व एक पुत्री ( प्रमोद तिवारी, अनुरुद्ध तिवारी, रेखा तिवारी) की नियुक्ति की गयी|
२- वरिष्ठ लिपिक स्वर्गीय वीरेंद्र सहाय सक्सेना के मृतक आश्रित में दो पुत्रों ( अतुल सक्सेना व मुकुल सक्सेना) की नियुक्ति की गयी|
३- मृतक शिक्षक के मृतक आश्रित में तीन पुत्र ( कमलेश त्रिपाठी, अवनीश त्रिपाठी व राजेश त्रिपाठी की नियुक्तियां की गयीं)|
४- स्वर्गीय ब्रजराज  सिंह यादव के कोई संतान न होने पर भी उनके मृतक आश्रित के तौर पर देवकंठ द्विवेदी की नियुक्ति की गई|
५- अजय श्रीवास्तव की फर्जी नियुक्ति की गई जो इस समय इटावा में कार्यरत हैं|
७- संजय पालीवाल की मृतक आश्रित में दो बार नियुक्ति की गई|

प्रेमलता देवी ने जिलाधिकारी से नियुक्ति मृतक आश्रितों का सत्यापन वेतन बिल से कराते हुए भ्रष्टाचार में सम्मलित अधिकारियों व कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की थी| जिलाधिकारी ने जिला विकास अधिकारी को जांच करने के आदेश दिए थे| इस आदेश को कई महीने गुजर चुके हैं लेकिन आज तक प्रेमलता की शिकायत पर जांच पूर्ण नहीं हो सकी है। इस संबंध में जिला विकास अधिकारी एके सिंह चंद्रोल ने बताया कि इस संबंध में बीएसए से कई बार अभिलेख मांगे जा चुके हैं। परंतु बीएसए ने आज तक अभिलेख उपलब्ध नहीं कराये हैं। इस कारण से जांच पूर्ण नहीं हो सकी है। तदनुसार उच्चाधिकारियों को सूचित किया जा चुका है।

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