नई दिल्ली। । राज्यसभा सदस्य व समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता अमर सिंह को कैश फोर वोट कांड में न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया गया है। अमर सिंह ने अग्रिम जमानत की अर्जी दी थी लेकिन उसे खारिज करते हुए कोर्ट ने उन्हें 19 सितंबर तक के लिए जेल भेज दिया। इससे पहले अमर ने स्वास्थ्य सम्बंधी कारणों से कोर्ट में हाजिर होने से इनकार कर दिया था लेकिन जब उनकी चिकित्सा रिपोर्ट मांगी गई तो वे कोर्ट पहुंच गए।
अमर के वकील ने सुबह कहा था कि उन्होंने अदालत में एक याचिका दाखिल की है। याचिका में अमर की अस्वस्थता के चलते उनके अदालत में हाजिर न होने की छूट मांगी गई थी।
तीस हजारी अदालत परिसर के बाहर अमर के वकील ने संवाददाताओं से कहा कि अमर सिंह स्वस्थ नहीं हैं और वह बिस्तर पर हैं। डॉक्टर ने उन्हें घूमने-फिरने से मना किया है। इसलिए हमने एक याचिका देकर कहा है कि वह मंगलवार को अदालत में उपस्थित नहीं हो पाएंगे। वह अदालत में उपस्थित होने से बच नहीं रहे हैं और जब अदालत सुनवाई की अगली तारीख निर्धारित करेगी तो वह अदालत में उपस्थित होंगे।
याचिका में कहा गया था कि कुछ साल पहले अमर का गुर्दा प्रत्यारोपण हुआ था और इसके बाद से उन्हें नियमित रूप से अस्पताल जाना पड़ता है। उन्हें उच्च रक्तचाप की भी शिकायत है। इस पर विशेष न्यायाधीश संगीता ढींगरा सहगल ने उनके वकील से अमर के स्वास्थ्य की चिकित्सा रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट में उस तारीख का उल्लेख होना चाहिए कि कब उनके गुर्दे का प्रत्यारोपण हुआ था, और उसके बाद वह कितनी बार चिकित्सक के पास गए। सहगल ने कहा, “आप मंगलवार दोपहर 12.30 बजे तक सभी तारीखों की अपनी विशेष चिकित्सा रिपोर्ट पेश करें।” इसके बाद अमर अदालत पहुंच गए थे। कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला साढ़े तीन बजे तक के लिए स्थगित रखा लेकिन साढ़े तीन बजे उनकी याचिका ठुकराते हुए कोर्ट ने उन्हें 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेजने के आदेश दिए।
इस मामले में दिल्ली पुलिस की ओर से आरोपपत्र दाखिल किए जाने के बाद अमर व तीन अन्य को मंगलवार को अदालत के सामने उपस्थित होना था। सहगल ने 25 अगस्त को अमर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व सांसदों फग्गन सिंह कुलस्ते और महावीर भगोरा व भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के पूर्व सहयोगी सुधींद्र कुलकर्णी को समन जारी किया था।
22 जुलाई, 2008 को तीन भाजपा सांसदों ने लोकसभा में विश्वास मत के दौरान नोटों की गड्डियां लहराई थीं। इन सांसदों का आरोप था कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार के पक्ष में वोट देने के लिए उन्हें यह पैसा दिया गया है। आरोपपत्र में कहा गया है कि जांच के दौरान इस बात के पर्याप्त सबूत मिले हैं कि 22 जुलाई, 2008 की सुबह अमर सिंह ने अपने सचिव संजीव सक्सेना के साथ अवैध रूप से एक करोड़ रुपये देने का आपराधिक षडयंत्र रचा था।