फर्रुखबाद (नवाबगंज) : देश में भृष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई में भले ही अन्ना ने 12 दिनों तक रामलीला मैदान में अनशन कर अपनी जान हलकान कर ली हो, अन्ना के अनशन से केंद्र सरकार भले ही घुटनों के बल आकर झूठा ही सही लोकपाल बिल पास करने व उसमें छोट कर्मचारियों को शामिल करने का आश्वासन दे दिया हो, परंतु जमीनी हकीकत जस की तस है। तहसील से लेकर आंगन बाड़ी केंद्र तक हर जगह वसूली का धंधा जारी है। एस ही एक रोचक प्रकरण जएनआई के नवाबगंज रिपोर्टर के सामने आया तो उसने अपना कैमरा चला दिया।
हुआ यूं कि शनिवार को बाल विकास परियोजना कार्यालय नवाबगंज पर सीडीपीओ की अनुपस्थिति में एक सुपरवाइजर ऊषा चौहान आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को पंजीरी वितरित कर रही थी। वितरण से पूर्व रजिस्टर पर कार्यकत्री से हस्ताक्षर कराने के दौरान 1500 रुपये प्रति की दर से नगद वसूली का खेल जारी था। जेएनआई के नवबगंज रिपोर्टर ने यह तमाशा देखा तो पूछा कि सीडीपीओ कहां हैं तो जवाब मिला कि वह क्षेत्र भ्रमण पर हैं। उनसे रिपोर्टर ने सीडीपीओ का नंबर पूछा तो श्रीमती चौहान ने बताया कि उनको सीडीपीओ का नंबर नहीं मालूम। इस सारी वार्ता के दौरान केद्र पर कार्यकत्रियों से वसूली का सिलसिला निर्बाध रूप से जारी रहा। अगला नंबर ग्राम पैथान की आंगनबाड़ी कार्यकत्री का था। कार्यकत्री ने जैसे ही ऊषा चौहान को देने के लिये रुपये निकाले रिपोर्टर ने कैमरा चला दिया। कैमरे का फ्लेश चलते ही ऊषा चौहान कार्यकत्री पर बिफर पड़ीं बोली देखती नहीं हो सबके सामने पेसे देने लगती हो। बाद में सुपरवाइजर व्यवस्था की दुहाई देकर फोटो हटा देने के लिये भी कहने लगी।
जिला मुख्यालय पर डीपीओ कार्यालय से प्राप्त सूचना के अनुसार शनिवार को जिला कार्यक्रम अधकारी राजेश वर्मा के बाहर होने के कारण उनके स्थान पर सीडीपीओ नवाबगंज मनीश कुमार चौरसिया उनके स्थान पर जिलायोजना की बैठक में प्रतिभाग करने के लिये मुख्यालय पर ही थे। उनसे फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया परंतु डीपीओ व सीडीपीओ दानों के ही नंबर सुइच आफ व नाट रीचेबिल बोलते रहे।