नई दिल्ली। देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे अन्ना हजारे दस दिन से जहां भूखे बैठे हैं वहीं इस देश के प्रधानमंत्री और मंत्री इफ्तार पार्टी का मजा ले रहे हैं। हालांकि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निवास पर बुधवार को देर रात हुई रोजा इफ्तार दावत में भाजपा के तीन नेता शामिल नहीं हुए और उन्होंने इस पार्टी बायकाट किया। पर फिर भी पार्टी हुई और देश में सियासी बवंडर के बीच लोगों ने जमकर पार्टी का लुफ्त उठाया।
सूत्रों ने बताया कि 7, रेसकोर्स रोड पर हुई प्रधानमंत्री की दावत में वैसे जन लोकपाल बिल की छाया साफ दिखी। चेहरों पर तनाव थे पर मन में सरकार के प्रति अगाध श्रद्धा। पर नहीं थी तो अन्ना की। हालांकि इस पार्टी में इस बार गांधी परिवार से कोई भी सदस्य नहीं आया। यहां तक कि कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी भी इफ्तार पार्टी में नजर नहीं आए। इसके कई मायने भी निकाले जा रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि लोकपाल मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक और टीम अन्ना के साथ वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी की वार्ता के बीच एक इंटरवल की तरह दिखी इस दावत में दोनों को लेकर उत्सुकता हर चेहरे पर थी। केंद्रीय मंत्री भी सर्वदलीय बैठक से बाहर निकले साथियों और अन्य नेताओं से नतीजे जानने की कोशिश कर रहे थे। प्रधानमंत्री के बाद पत्रकारों की सबसे ज्यादा भीड़ प्रणब मुखर्जी, कानून मंत्री सलमान खुर्शीद और कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल के आस-पास घिरी थी।
पत्रकार एवं नेता दोनों एक-दूसरे से इस मामले पर ज्यादा से ज्यादा सूचनाएं जुटाने की कोशिश कर रहे थे। टीम अन्ना के साथ बातचीत में लगे नेता ज्यादा बात करने से कतरा रहे थे। वहीं सरकार के संकटमोचकों को दावत से निकलकर टीम अन्ना के साथ जारी गतिरोध दूर करने की कोशिशों में फिर से जुटने की जल्दी भी थी। सर्वदलीय बैठक के ठीक बाद हुई इस दावत में विपक्ष के नेता पहुंचे तो जरूर लेकिन ज्यादा देर ठहरे नहीं।
मुख्य विपक्षी दल भाजपा के नेता लालकृष्ण आडवाणी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज और राज्यसभा में नेता विपक्ष अरुण जेटली मौजूदगी की औपचारिकता निभाकर थोड़ी ही देर में रवाना हो गए। पर चर्चा में हर कहीं लोकपाल और अन्ना थे पर इस चिंता के बावजूद भी पार्टी को सफल बनाने के लिए मेजबानों ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ रखी थी।