फर्रुखाबाद परिक्रमा: बैंकिंग सुविधाओ के विस्तार पर भारी जिलाधिकारी का फरमान

EDITORIALS

जातिवाद की राजनीति तलवार की धार है- काटती है जोडती नहीं

जैसे उडि जहाज को पंक्षी पुनि जहाज पर आवै के अंदाज में बढ़ी दाढी धुल धूसरित काया लिए चौक त्रिपौलिया पर आकर मुंशी हर दिल विराज गए| हुलिया और हालात से लग रहा था कि गली-गली गाँव-गाँव की ख़ाक छान कर आ रहे हैं| सदैव की तरह वीरभद्र पान वालों के यहाँ से पहले पानी मांगकर पिया और फिर पान खाया| जब कुछ चैन महसूस हुआ तब फिर उचक-उचक कर गर्दन घुमाकर देखने लगे कि आखिर मियाँ झान झरोखे अभी तक क्यों नहीं आये?

एकाएक मियाँ  झान झरोखे जाने कहाँ से आ टपके और गाने लगे कि मेरो मन अनत कहाँ सुख पावे| मुंशी ने फिर दाढी पर हाँथ फेरा और कहा जैसे उडि जहाज को पंक्षी पुनि जहाज पर आवै| मियाँ बोले मुंशी होश में आ जाओ यहाँ चौक की पटिया पर पसरे रहते हो ज़रा गाँव देहात में जाकर देखो कैसी घमासान मची हुयी है|

मुंशी हत्थे से उखड गए बोले होश की दबा करो मियाँ तुम हमारा यह हुलिया देख रहे हो यहाँ बैठे-बैठे नहीं हो गया| पूरे जिले के सभी विकास खण्डों और न्याय पंचायतों की ख़ाक छान कर आये हैं| सुनोगे तो बदहवासी में सिर पीटने लगोगे|

मियाँ सन्नाटे में आ गए अपनी सुनाने के बजाय मुंशी के मस्का लगाने लगे| वाह रे मेरे शेर तुम्हारी ही दम का दमूडा बाकी सब तो घास-कूड़ा है| बताओ-बताओ क्या हो रहा है गाँव-देहात में?

मुंशी गला साफ़ करके बोले मियाँ जो कुछ हो रहा है अच्छा तो बिलकुल नहीं हो रहा है| जब से लोगों ने वोट डालने में उदासीनता दिखाई है राजनीति में जातिवाद का जादू सिर चढकर बोलने लगा है| बात चली सट्टा और व्यवस्था परिवर्तन से आकर टिकी पिछडों की एकता पर| यहाँ तक तो चलो सब कुछ ठीक-ठाक था परन्तु अब तो हर जगह जातिवाद का नंगनाच राजनीति के नाम पर हो रहा है| सब एक-दूसरे की जान के दुश्मन बन गए हैं| एक ही पेंटर सभी जातियों के जन सेवा को उतावले जन सेवकों की बाल पेंटिंग पूरे जिले में रंग रहा है| परन्तु जन सेवक न जाने किस मिट्टी के बने हैं प्यार मोहब्बत के नाम पर अपनी बात कहने के स्थान पर तीर तलवार, कट्टा बन्दूक का अभ्यास कर रहे हैं|

मियाँ बोले सच कहते हो मुंशी पिछडों की एकता तो मिशन 2012 से पहले ही छिन्न-भिन्न हो गई| जिला पंचायत से जो अहीर झांझडा प्रारम्भ हुआ है वह बदस्तूर अभी भी जारी है| ठाकुर सुहाली साइकिल वालों को बेदखल कर कमलासन पर विराजमान है| लोधी राजपूत अब हर दल में हैं या तो चलो राजनैतिक जागरूकता की बात है परन्तु अब उनमे मारामारी है| एक तरफ बड़ी दीदी, बाबा, राम सखा वर्मा, जिलाध्यक्ष आदि आदि| दूसरी तरफ सैफई वाले पहलवान की मुंह बोली बहन| तीसरी तरफ राम लला से बाबरी विध्वंस के दिनों में सीधे टेलीफोन पर बात करने वाले कल्याण जी आनंद जी| बहुत संभव है भोजपुर विधान सभा में कल्याण जी आनंद जी के चहेते उपाध्यक्ष जी की हाँथ वालों की तरफ से प्रायोजित सजातीय से टक्कर हो जाए| आखिरकार साइकिल वालों का एहसान उतारना है कि नहीं| ज्यादा दिन नहीं हुए जब यह सब के सब सजातीय एक साथ थे| एकता भी बेमिशाल थी| आज सब एक-दूसरे को नीचा दिखाने को सब कुछ और कुछ भी करने को तैयार|

मुंशी बोले मियाँ यही हाल पिछडों की अन्य विरादरियों का है| बजरंगी कमल पर हैं, कोई हांथी पर है| पिता की विरासत के साथ कमल हाँथ में लिए सुशील साजन राजेपुर में नमो वुद्धाय का उद्घोष करेंगें| वहीं सदर क्षेत्र में इंद्रराज हांथी पर सवार रहेंगें भले ही सत्ता बदल जाये| परन्तु इन हालातों में व्यवस्था बदलने से रही| पंडित जी हर जगह अच्छे जिज्मानों और लाला जी अच्छे कद्र दानों का भला करने को तैयार बैठे हैं| अपनी नाक कटाकर दूसरों का अपशकुन करने वालों की भी कमी नहीं है| भोजपुर में तो क्षत्रिय कुल्भूषणों की जंग अब किसी के रोके रुकने वाली नहीं है| जातिवाद की राजनीति तलवार की धार की तरह लोगों को काट रही है| अपने ही दोस्त भाई सजातीय अपनों के दुश्मन बन गए हैं, बनते जा रहे हैं| मियाँ और मुंशी को रस गाने लगे-

दोस्तों से इस तरह सदमे उठाये जान पर,

दिल से दुश्मन की अदावत का गिला जाता रहा|

मुख्य सचिव जी का दौरा- टायं टायं फिस्स-

प्रदेश के प्रमुख सचिव पिछडा वर्ग के० एल० मीणा अपनी वीणा हाँथ में लेकर जिले के दौरे पर पधारे| नेता बेईमान तो अफसर पहलवान| यही हाल है जिले और सूबे में अफसर शाही का| बहिन जी के कार्यकाल का पांचवा साल शुरू हो गया है| ज़रा याद करके बताईये इस जिले में कितने जिलाधिकारी और पुलिस कप्तान आये और चले गए| लखनऊ में जब चाहा तब ताश की गड्डी फेंट दी जाती है| ऊपर से सेटिंग करके आये अफसर भी यहाँ अपने मातहतों की तैनाती ताश की गड्डी की तर्ज पर फेंटते हैं| मौजूदा जिलाधिकारी को लेकर कुछ उम्मीद बंधी थी| परन्तु नतीजा ढाक के तीन पात ही नजर आता है| बताईये जिले के किस कार्यालय में कार्य व्यवस्था बदली है, सुधार हुआ है, आम आदमी को कहाँ राहत मिली है|

अब तो निरीक्षण पर आने वाले बड़े अफसरों के दौरों का भी कोई मतलब नहीं रह गया है| मीणा जी आये इससे पहले स्वास्थय विभाग की हंटर वाली आई| कमियां ही कमिया मिलीं| मातहतों को हड़काने डांटने व फटकारने में कोई कमी नहीं रखी| काशीराम कालोनी, अस्पताल, थाना आदि आदि का निरीक्षण हुआ| स्वास्थय विभाग के तो कल तक यहाँ से निर्वाचित अन्टू साहब ही थे| बेचारे जीतते ही इतना बिजी हो गए कि जिले और यहाँ के स्वास्थय विभाग का कार्यभार श्रीमान वोझा जी को सौंपकर खुद लखनऊ के बड़े मामलों में रम गए| अंत में वही हुआ जिसका अंदेशा था| वह तो पहले से ही नदारद थे| अब बेचारे वोझा जी भी अंतर्ध्यान हो गए| अब चाहें जितना बड़ा भी अफसर यहाँ आये, गरजे, बरसे, हंटर फटकारे डांटे डपटे परन्तु नतीजा कुछ भी निकलने वाला नहीं| हम नहीं सुधरेंगें की तर्ज पर जिले में सब कुछ वैसा ही चलेगा जैसा चलता रहा है| एक सरकारी दिलजले ने कह ही दिया भईया हमारी दशा तो खरबूजा की तरह है दौरा चाहें नेता करे या अफसर वसूली का चाकू तो हमारे ऊपर ही गिरेगा| फिर हम क्यों सुधरें और क्यों बदलें ? सही ही तो कहा है-

यह कैसा समाजवादी शासन कुत्तों को इंसान से दूना राशन,

इसमें क्या बात है मतलब साफ़ है|

तुम भी दम हिलाओ दूना राशन पाओ|

फर्रुखाबाद में गन्ना बहुत है अन्ना (हजारे) एक भी नहीं-

अरे भाई सलमान साहब कभी तो यार पढ़े लिखों की तरह बात कर लिया करो| हमारी बात का बुरा मत मानना| यह कोई धमकी नहीं है| आप फर्रुखाबाद के हैं इसलिए मन नहीं माना नेक सलाह दिए दे रहे हैं| मानना न मानना आपके ऊपर| अगर अन्ना हजारे से उलझोगे तो कहीं के न रहोगे| आज जो जी हजुरिये तुम्हारे आगे-पीछे डोल रहे हैं अपने वनवास के समय उनकी कारस्तानियाँ दो साल में ही भूल गए| अक्ल से काम लो मियाँ| जिस संसद की सर्वोच्चता की बात कर रहे हैं आप उसकी गरिमा और मर्यादा को तो पलीता सबसे ज्यादा आपके नेताओं और आपकी पार्टी ने ही लगाया है| आप यहाँ के सांसद हैं, केंद्र सरकार में मंत्री हैं| जरा हिसाब लगाकर बताईये कम मतदान और वोटों के बटवारें के बाद कितने वोट पाकर आप सांसद और मंत्री बने हैं| फिर भी आप अन्ना हजारे को चुनौती दे रहे हैं| उसके पीछे आपकी सरकार के कारनामों और भ्रष्टाचार महंगाई आदि से पीड़ित पूरा देश है|

हमारे बात बहुत बुरी लग रही होगी| यहाँ के बच्चों और नौजवानों को कटोरा पकडाने का काम बंद करो| किसे किसे दिल्ली ले जाओगे नौकरी और पढाई के लिए| यहाँ गन्ना बहुत होता है गन्ने में मिठास बहुत होती है उसका ज्यादा फ़ायदा मत उठाओ| जिस दिन कालीचरन टंडन, होरीलाल यादव, चिरौंजीलाल पालीवाल, भैरोसिंह भारतीय, अनवर अहमद तावा साहब, इकबाल बहादुर सक्सेना जैसे तमाम स्व नाथ धन्य फर्रुखाबाद के लाडलों से प्रेरणा लेकर एक भी अन्ना तन कर खडा हो जाएगा| आपको आपकी सरकार को ठिकाना ढूँढने से भी नहीं मिलेगा| दूसरी आजादी की जंग शुरू हो गई| अंग्रेजों जैसा व्यवहार मत करो नहीं तो हश्र भी उन्ही जैसा होगा| गांधी की तर्ज पर पहली आजादी वाले दौर की तरह अब गली गली गाँव-गाँव में दीवानों की टोलियाँ निकलेंगी| तब क्या करोगे आप सोचकर बताईये| पुराना इतिहास तो यही बताता है तब आप दूसरी आजादी के सेनानियों में रातोंरात शामिल होने का कोई भी प्रयत्न शेष नहीं रखेंगें| बोलो क्या फर्रुखाबाद के लिए फर्रुखाबाद के अन्ना बनने की हिम्मत जुटाओगे|

सलमान साहब ! कौन सी संसद सर्वोच्च है ?-

हो सकता है आप या आप के चंगू मंगू यह कहने लगे देख रहे हो भाई जान| अब तो यह जनाव हाँथ धोकर पीछे पड़ गए| ऐसी कोई बात नहीं है हम तो परिक्रमा करते ही रहते हैं| कभी-कभी आप भी आ जाते हैं परिक्रमा के लिए| इस बार की अपनी दो दिवसीय फर्रुखाबाद परिक्रमा में आपने हर जगह कलम के हर सिपाही के सामने संसद की सर्वोच्चता की ही बखान किया| लिहाजा हमें यह बात सीधे सीधे आपसे ही पूछनी पडी|

ज़रा बताईये इस देश की आवादी कितनी है| जी ठीक फरमाया आपने देश की आवादी 1 अरब 21 करोड है| पिछले लोक सभा चुनाव में आपकी पार्टी को कितना वोट मिला था सलमान साहब| शाबास बिलकुल सही बताया कांग्रेस पार्टी को पिछले लोक सभा में 11 करोड 90 लाख लोगों ने वोट दिया था| सलमान साहब बताईये आवादी के अनुपात में आपकी पार्टी को मिले वोटों का प्रतिशत क्या है? हम नहीं बता पायेंगें हम स्वीकार करते हैं हमारा गणित बहुत कमजोर है| अरे इसमें शर्माने या नजरें नीची करने की क्या बात है? जब इतने कम प्रतिशत वोट पाकर भी आपकी सरकार बन जाए और फिर आप मंत्री बन जाएँ तब फिर ज्यादा मगजमारी की क्या जरूरत है ? बांकी चाहे माया बहन जी दायें-बाएं अपने-अपने कारणों से हो क्रिकेट के पावर जी ही आपके साथ हों तब फिर चिंता किस बात की|

हाँ सलमान साहब अब केवल दो सवाल और हैं इस सर्वोच्च संसद ने हाल के दिनों में जनहित के दो कौन से प्रस्ताव सर्व सम्मति से पास किये| याद नहीं आ रहा चलो कोई बात नहीं हम बताए देते हैं| पहला प्रस्ताव सांसदों ने अपना वेतन भत्ता सर्व सम्मति से बढ़ा लिया| दूसरा सांसदों ने अपनी सांसद निधि बढ़ाकर ५ करोड़ कर ली| पूरा का पूरा सत्र हल्ला गुल्ला में निकाल देने वालों ने इन दोनों प्रस्तावों पर विरोध की रस्म अदायगी तक नहीं की| सही है आपकी संसद वास्तव में सर्वोच्च है|

दूसरा सवाल केंद्रीय मंत्रिमंडल में कौन मंत्री अन्ना हजारे से ज्यादा ईमानदार नहीं है| कम से कम आप तो नहीं हैं| बांकी की सोंचकर बताईयेगा हमें प्रतीक्षा रहेगी| चलते चलते ज़रा हंस दीजिए और बताईये मनमोहन सिंह, मुरली मनोहर जोशी, मुलायम सिंह यादव, मोहन सिंह, ममता बनर्जी और अपनी यूपी वाली बहन जी में आप किसे सबसे ज्यादा पसंद करते हैं आज तो आपको छोडने का मन ही नहीं कर रहा है| बताईये वर्षों से लटका महिला आरक्षण विल और जन आकाक्षाओं के अनुरूप सख्त लोकपाल विल आप अपने वेतन भत्तों और सांसद निधि बढोत्तरी के प्रस्तावों की तरह कब तक सर्व सम्मति से पास करा लेंगे अपनी सर्वोच्च संसद से|

और अंत में-

जिलाधिकारी जी आपसे तो ऐसी उम्मीद नहीं थी| भीषण गर्मी में पसीना हो रहे एक सज्जन रास्ता रोककर अपना दर्द बताने लगे| बोले सरकारी पैसा जमा कराने रेलवे रोड स्थित स्टेट बैंक गए थे| वहाँ पता लगा कि जिलाधिकारी जी के आदेश से अब सरकारी पैसा स्टेट बैंक की फतेहगढ़ ब्रांच में ही जमा होगा|

चौंकने जैसी बात थी| बैंक जाकर स्वयं पता किया तो बात सही बताई गई| यह क्या तमाशा है भईया एक और बैंकिंग सुविधाओं का विस्तार गाँव-गाँव तक करने का दावा किया जा रहा है| दूसरी ओर सरकारी पैसा केवल फतेहगढ़ में जमा करने का फरमान इसलिए जारी हुआ है कि साहब बहादुरों को डेटा कम्पाईल करने में तकलीफ होती थी| यह उचित नहीं हैं| मेहरवानी करके ऐसी व्यवस्था करिये कि फर्रुखाबाद में सरकारी पैसा पूर्ववत स्टेट बैंक की फर्रुखाबाद शाखा में भी हो|

(लेखक वरिष्ट पत्रकार के साथ वकील व समाजवादी चिंतक है)

प्रस्तुति-

सतीश दीक्षित (एडवोकेट)
1/432, आवास विकास कालोनी फर्रुखाबाद

पाठक अपनी प्रतिक्रिया satishdixit01@gmail.com or jninews@gmail.com पर भी भेज सकते है|