Wednesday, April 23, 2025
spot_img
HomeFARRUKHABAD NEWSभारत का संविधान लोकतांत्रिक शासन की व्यवस्था

भारत का संविधान लोकतांत्रिक शासन की व्यवस्था

फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) विकास क्षेत्र बढ़पुर के कन्या प्राथमिक विद्यालय बुढ़नामऊ में बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती मनायी गयी| सुबह प्रभात फेरी भी निकाली गई| बच्चों हाथों में तख्तियां लिए हमारा संविधान भारत का स्वाभिमान, डॉ. अंबेडकर जिंदाबाद के नारे लगे l
प्रधानाध्यापक नानक चन्द्र ने कहा कि भारत का संविधान भारत के नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को परिभाषित करता है ,डॉ अंबेडकर द्वारा बनाया गया भारत का संविधान 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन में
बनकर तैयार हुआ था जो संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान को अपनाया था, और यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था। जिसकी उद्देशिका में ही लिखा है कि हम भारत के लोग भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न ,सामान, समाजवादी ,धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय ,विचार ,अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता निष्ठा और अवसर की समानता प्राप्त करने के लिए तथा उन सब में व्यक्त की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सूचित करने वाली जनता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर इस संविधान सभा में अधिनियमित आत्म समर्पित करते हैं कि भावना है उन्होंने कहा कि
भारत का संविधान लोकतांत्रिक शासन की व्यवस्था करता है, जिसमें लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधि सरकार चलाते है | भारत का संविधान और शिक्षा का अधिकार अधिनियम सभी नागरिकों को शिक्षा के अवसर प्रदान करता है|
शिक्षा का अधिकार सामाजिक न्याय को बढ़ावा देता है l भारत का संविधान सभी नागरिकों को समानता और न्याय का अधिकार देता है। शिक्षा का अधिकार सामाजिक न्याय को बढ़ावा देता है l भारतीय संविधान में समस्त वर्गों की महिलाओं के लिए समानता का अधिकार प्रदत्त है| बच्चों को उनके साहित्य को पढ़ने की सलाह दी और अशिक्षित अभिभावकों को बच्चों को पढ़ने में सहयोग की अपेक्षा की उन्होंने भी कहा कि तभी भारत का संविधान हमारा स्वाभिमान की अवधारणा वास्तविक रूप से कारगर होगी l इस अवसर पर ग्राम प्रधान मनोज कुमार ने बताया कि पूना पैक्ट डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर और महात्मा गांधी के बीच 24 सितंबर 1932 को हुआ था। यह समझौता पुणे की यरवदा सेंट्रल जेल में हुआ था, जब गांधी ने दलित वर्गों के लिए अलग निर्वाचक मंडल के विरोध में आमरण अनशन शुरू किया था।
पूना पैक्ट के बाद प्रांतीय और केंद्रीय विधानसभाओं में दलित वर्गों के लिए 19% सीटें इन समूहों के लिए समर्पित की जानी थी और यह आरक्षण की व्यवस्था तब तक जारी रहनी थी जब तक कि दलित वर्गों को सार्वजनिक सेवाओं में समान अवसर और प्रतिनिधित्व न मिल जाय l कार्यक्रम में अध्यक्ष मनोज , कोतवाल,सहायक अध्यापक फरजाना अंजुम,नेहा मिश्रा, संगीता किरण अग्निहोत्री ,रमेश चंद्र आदि ने विचार व्यक्त किए l प्रधानाध्यापक द्वारा भारत के संविधान की उद्देशिका वाचन कराया गया|

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments