फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) हिंदू धर्म में नवरात्रि साल में चार बार आता है, जिसमें से एक है चैत्र नवरात्रि। यह नवरात्रि वसंत ऋतु में आती है और इसे वसंत नवरात्रि भी कहा जाता है। यह मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा का पावन अवसर होता है। गर्मी के मौसम की शुरुआत में आने वाली यह नवरात्रि मार्च-अप्रैल के महीने में पड़ती है। इसी दिन से हिंदू नववर्ष (विक्रम संवत्) की शुरुआत होती है। चैत्र नवरात्रि सूर्य के मेष राशि में प्रवेश के दौरान आती है, जिससे यह सौर नववर्ष की शुरुआत भी मानी जाती है। इसे नए कार्यों की शुरुआत के लिए अत्यंत शुभ समय माना जाता है। चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन (नवमी तिथि) को भगवान श्रीराम का जन्मदिन (राम नवमी) मनाया जाता है। मान्यता है कि भगवान राम ने नवरात्रि के दौरान शक्ति की आराधना की थी और शक्ति प्राप्त करके रावण का वध किया था। इस बार की चैत्र नवरात्रि नौ दिन की नहीं बल्कि केवल आठ दिनों की ही होगी। इस बार 31 मार्च को द्वितीया तिथि है, जिसमें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा सुबह 9:12 बजे तक है, इसके बाद तृतीया तिथि को मां चंद्रघंटा पूजन होगा, लेकिन इसका क्षय होगा।
कलश स्थापना (घटस्थापना) का शुभ मुहूर्त:
प्रथम मुहूर्त: 30 मार्च 2025 को सुबह 6:12 से 10:20 बजे तक।
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:59 से 12:49 बजे तक।
सुबह 10:30 बजे से दोपहर 12:00 बजे के बीच घटस्थापना करने से बचें। इस बार चैत्र नवरात्र की महाष्टमी और महानवमी एक ही दिन पड़ रहा है क्योंकि इस बार पंचमी तिथि का क्षय हो रहा है। इस वर्ष अष्टमी और नवमी तिथियाँ क्रमशः 5 अप्रैल और 6 अप्रैल 2025 को पड़ेंगी।
चैत्र नवरात्री 2025: घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
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