Saturday, December 28, 2024
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खत्म हुआ आंकड़ों के जादूगर का सफर!एक फोन-कॉल जिसने बदली मनमोहन सिंह कि जिंदगी

डेस्क:भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को 92 वर्ष की उम्र में गुरुवार को निधन हो गया। दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में उन्होंने 26 दिसंबर की रात अंतिम सांस ली। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन को लेकर दिल्ली एम्स ने प्रेस रिलीज में लिखा कि उन्हें रात 8:06 बजे नई दिल्ली के एम्स की मेडिकल इमरजेंसी में लाया गया। तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका और रात 9:51 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।मनमोहन के परिवार में पत्नी गुरशरण कौर और तीन बेटियां हैं। केंद्र सरकार ने सात दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। शुक्रवार को निर्धारित सभी सरकारी कार्यक्रम रद कर दिए गए हैं|

सन 1932 को पाकिस्तान में जन्मे मनमोहन सिंह की जिंदगी में सबसे बड़ा दिन जून 1991 में आया। जब नीदरलैंड में एक सम्मेलन में भाग लेने के बाद वह दिल्ली लौटे थे और अपने कमरे में Sओ रहे थे तभी एक फोन आया। काफी देर बाद सिंह के दामाद विजय तन्खा ने उनका फोन उठाया। दूसरी तरफ से आवाज पी.वी. नरसिंह राव के विश्वासपात्र पी.सी. अलेक्जेंडर की थी। अलेक्जेंडर ने विजय से मनमोहन सिंह को जगाने का आग्रह किया।मनमोहन सिंह और अलेक्जेंडर कुछ घंटों बाद मिले और अधिकारी ने सिंह को नरसिंह राव की योजना के बारे में बताया कि वे उन्हें वित्त मंत्री नियुक्त करना चाहते हैं। सिंह जो उस समय यूजीसी के अध्यक्ष थे और कभी राजनीति में नहीं रहे थे यह घटना सपथ ग्रहण के ठीक अक दिन पहले की है|मुझे पद की शपथ लेने के लिए तैयार नई टीम के सदस्य के रूप में देखकर सभी आश्चर्यचकित थे। नरसिंह राव जी ने मुझे सीधे बताया कि मैं वित्त मंत्री बनने जा रहा हूं।उस नियुक्ति ने भारत की अर्थव्यवस्था की दिशा बदल दी। एक संकीर्ण, नियंत्रण-भारी, कम वृद्धि वाली अर्थव्यवस्था से यह आज दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बन गई है।राव के साथ सिंह 1991 के सुधारों के वास्तुकार थे, जिन्होंने कांग्रेस के अंदर और बाहर से हमलों का सामना किया। अर्थव्यवस्था खस्ताहाल थी, विदेशी मुद्रा भंडार 2,500 करोड़ रुपये तक गिर गया था, जो मुश्किल से 2 सप्ताह के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त था, वैश्विक बैंक ऋण देने से इनकार कर रहे थे, मुद्रास्फीति बढ़ रही थी।
पीसी अलेक्जेंडर उस वक्त नरसिम्हा राव के सलाहकार थे। नरसिम्हा राव ने उनसे कहा कि वित्त मंत्री के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के व्यक्ति की जरूरत है। अलेक्जेंडर ने उन्हें आरबीआई के पूर्व गवर्नर आईजी पटेल का नाम सुझाया, लेकिन मां के बीमार होने के चलते उन्होंने इनकार कर दिया। फिर अलेक्जेंडर ने मनमोहन सिंह का नाम सुझाया। वित्त मंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद मनमोहन सिंह का राजनीतिक सफर शुरू हुआ था। वह 1991 में असम से राज्यसभा सदस्य बने। वित्त मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल 1991 से 1996 तक का था। वित्ती मंत्री के रूप में मनमोहन सिंह आर्थिक उदारीकरण के अगुआ बने। लाइसेंसी राज खत्म किया विदेशी निवेश बढ़ा और नौकरियां आईं। इसके बाद मनमोहन सिंह 1998 से 2004 तक विपक्ष के नेता रहे और फिर 2004 से 2014 तक देश के पीएम रहे।
प्रधानमंत्री ने एक्स पर मनमोहन सिंह के साथ कुछ तस्वीरें पोस्ट की हैं। जिसके लिखा कि जब डॉ. मनमोहन सिंह जी प्रधानमंत्री थे और मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था तब मेरे और उनके बीच नियमित बातचीत होती थी। हम शासन से संबंधित विभिन्न विषयों पर व्यापक विचार-विमर्श करते थे। उनकी बुद्धिमत्ता और विनम्रता सदैव झलकती रहती थी। दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं डॉ. मनमोहन सिंह जी के परिवार, उनके दोस्तों और अनगिनत प्रशंसकों के साथ हैं। ॐ शांति.

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