विश्व रेडियोग्राफी दिवस:अदृश्य चीजों को देखने में वरदान है रेडियोग्राफी तकनीक

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डेस्क :दुनियाभर में कई बड़ी बीमारियों के खतरे बढ़ते जा रहे है इससे निपटने के लिए वैज्ञानिक कई तकनीकें भी ईजाद कर रहे है। इसके चलते ही रेडियोग्राफी को बढ़ावा देते हुए विश्व रेडियोग्राफी दिवस को हर साल 8 नवंबर को मनाया जाता है।
आजकल कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज के दौरान रेडियोग्राफी थेरेपी का उपयोग किया जाता है। इस तकनीक के विषय में हर किसी को जानकारी नहीं होती है इसके लिए वैश्विक स्तर पर एक प्रकार का हेल्थ केयर अवेयरनेस दिवस का इवेंट बनाया जाता है।

कब हुई इस दिवस को मनाने की शुरुआत:
विश्व रेडियोग्राफी दिवस के इतिहास 17 साल पहले 2007 में दुनियाभर में रेडियोग्राफी दिवस मनाने को लेकर पहल की गई। यहां पर सबसे पहले यह दिन इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ रेडियोग्राफर्स ने मनाया था। उसके बाद 2012 में इसे दिवस को लेकर अब तक का सबसे बड़ा इवेंट किया गया। जिसे यूरोपियन सोसाइटी ऑफ रेडियोलॉजी द्वारा ऑर्गेनाइज किया गया था। इस प्रकार से हर साल 8 नवंबर के दिन रेडियोग्राफी के लिए यह दिन आयोजित किया जाता है।विश्व रेडियोग्राफी दिवस की बात की जाए तो, इस दिवस को हर साल रेडियोग्राफी तकनीक बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। इस दिवस को लेकर हर साल थीम बदलती रहती है। इस साल इसकी थीम की बात करें तो रेडियोग्राफी: सींग द अनसीन है। इसका मतलब होता है की रेडियोग्राफी जैसी तकनीक के माध्यम से हम बिना दिखने वाली चीजों को भी देख सकते हैं।
आठ नवंबर 1895 को एक्स-रेडिएशन या एक्सरे की खोज हुई थी। जर्मन के वैज्ञानिक विल्हेम कोनराड रोंटजेन ने यह खोज की थी। जब साल 1901 में नोबेल पुरुस्कार की शुरुआत हुई तो उन्हें फिजिक्स में पहला नोबेल पुरुस्कार उन्हें दिया गया था। पूरी दुनिया में इसके बाद से ही आठ नवंबर को रेडियोग्राफी दिवस मनाया जाने लगा।
कम हुआ दुष्प्रभाव:
रेडियोग्राफर के अनुसार अब डायरेक्ट रेडिएशन सिस्टम अस्पतालों में आ चुका है। मरीज को इसमें कक्ष में लेटा या बैठा दिया जाता है और शरीर का एक्सरे बाहर कंप्यूटर पर बैठा व्यक्ति मशीन की मदद से ले लेता है। इस तकनीकि से एक्सरे करने पर दस फीसद रेडिएशन का खतरा कम हुआ है,यह मैन्युअल पद्घति से आसान भी है। इसकी एक्सरा रिपोर्ट व फिल्म सीधे वाट्सएप पर भी दी जा सकती है। सामान्य प्रक्रिया में जो एक्सरे होते थे उसमें फिल्म को धोना पड़ता था,जिसमें गड़बड़ी होने पर पुन: एक्सरे करने की आवश्यकता होती है, पर डीआर सिस्टम में जरूरत नहीं होती।