Monday, December 23, 2024
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संतो के संरक्षण में मिलती सुरक्षा की गारंटी

फर्रुखाबाद:(नगर संवाददाता) मानस सम्मेलन में दूसरे दिन मानस विद्वानों ने कहा जब संतो का संरक्षण मिलता है तब सुरक्षा की गारंटी होती है और मानव आंख बंद करके संतो के साथ हो लेता है।

मानस विचार समिति के बैनर तले डा. रामबाबू पाठक के संयोजन में पांडाबाग के सत्संग भवन में चल रहे दूसरे दिन मानस सम्मेलन में पीलाराम शर्मा दुर्ग छत्तीसगढ़ ने बंदऊ कोशल्या दिशी प्राची,प्रसंग की व्याख्या करते हुए कहा कि ऋषि विश्वामित्र ने राक्षसो के उत्पात से रक्षा के लिए राजा दशरथ के पास पहुंचे और श्रीराम व लक्ष्मण को मांगा।थोड़ा ना नुकुर के बाद राजा दशरथ,कौशल्या माता ने छोटे बालको श्रीराम लक्ष्मण को वन जाने दिया क्योंकि ऋषि विश्वामित्र ने दोनो बालको की सुरक्षा का भरोसा दिलाया।इस प्रकार संतो का संरक्षण कौशल्या माता को मिला इसलिए उन्होंने दोनो बालको को जाने से नहीं रोका। झांसी से पधारे मानस विद्वान अरुण गोस्वामी ने ईश भजन सारथी सुजाना,प्रसंग पर कहा कि ईश यानि महीश भगवान शिव को कहा गया है,हम जितने देवी देवताओं की पूजा करते है, क्योंकि सभी देवी देवता शिव की पूजा करते हैं।शिव के विवाह में भूत प्रेत,देवी देवता, राक्षस सभी गए थे।भवसागर से पार जाने के लिए ईश्वर का भजन सारथी का काम करता है। क्योंकि चतुर सारथी ही भवसागर से पार करता है। इंदौर म. प्र.से पधारे मानस मर्मज्ञ महेश चंद्र मिश्र ने निज कृत कर्म भोग सब भ्राता प्रसंग की व्याख्या करते हुए कहा कि मानव कर्म सुख पाने के लिए करता है पर फिर भी उसे दुख मिलता है।दुख दूर करने के बहुत से उपाय है पर सुख प्राप्त करने का कोई उपाय नहीं है।जैसे भगवान का भजन कर हम कर्म करते हैं पर फल रूपी भगवान हमे नहीं दिखाई पड़ता है।
संयोजक डा. रामबाबू पाठक ने वंदे वाणी प्रसंग पर कहा कि वाणी अर्थात् देवी सरस्वती अयोध्या में दासी मंथरा के पास गई।देवी सरस्वती पूरे अयोध्या राजभवन में घूमी,पर किसी की बुद्धि नहीं फेर पाई,पर दासी मंथरा मिल गई| देवी सरस्वती दादी मंथरा की बुद्धि को फेरने में सफल हो गई।श्रीराम लक्ष्मण को अयोध्या से वन भेजकर राक्षसों का उद्धार किया।तबला पर संगत नंदकिशोर पाठक ने की।
संचालन पंडित रामेंद्र मिश्रा ने किया। रामवरन दीक्षित, प्रमोद पांडेय, अशोक कुमार रस्तोगी, आलोक गौड़, ज्योति स्वरूप अघिनोत्री, सुरजीत पाठक उर्फ बंटू, ब्रजकिशोर सिंह किशोर, भारत सिंह, समाजसेवी संजय गर्ग, नरेश दुबे, व्रजेंद्र श्रीमाली, विशेष पाठक आदि रहे|

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