Monday, December 23, 2024
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पुण्यतिथि पर याद किए गए भारत रत्न चाैधरी चरणसिंह

फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो)रालोद के प्रदेश महासचिव के कैप कार्यालय मेंन चौराहा नवाबगंज पर पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न चौधरी चरण सिंह की 37वीं पुण्यतिथि पर गोष्ठी का आयोजन किया गया| वक्ताओं ने चौधरी चरण सिंह के जीवन पर विस्तार से चर्चा की गयी। इसके साथ ही हबन भी किया गया|
प्रदेश महासचिव राजीव रंजन नें कहा कि चौधरी चरण सिंह सभी बिरादरियों के नेता थे और उन्होंने सभी वर्गों के लिए काम किया ।  सभी वर्गों की राजनीति में हिस्सेदारी की और किसान हित में इतने कार्य किए कि उनकी चर्चा कर पाना भी कठिन है।
जिलाध्यक्ष विमलेश मिश्रा नें कहा कि किसानों के ऐसे चैंपियन जिन्होंने सत्ता हाथ में आते ही जमींदारी का खात्मा कर दिया। रातों-रात किसानों को जमीन का मालिक बनाया। चकबंदी कर अलग-थलग पड़े किसानों के खेत एक जगह कर दिए। मंडल कमीशन का गठन कर सामाजिक न्याय की लड़ाई की नींव पुख्ता की। किसानों का यह महानायक सहकारिता खेती के विरोध में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से भिड़ गया। दुनिया को अलविदा कहते वक्त उनके पास न अपना कोई घर था, न खेती की जमीन और न कार। बीमारी से लड़ने में 22 हजार के बैंक बैलेंस में से केवल 4500 की रकम बची थी। उनके पास न खेती थी और न अंतिम वक्त में अपना निजी मकान। वह जीवन भर गांव, गरीब, किसान और खेत के लिए लड़े। हालात कभी उनका हौसला तोड़ न सके। बेहतरी की जंग के जज्बे ने उन्हें किसानों का मसीहा बना दिया। इसी पूंजी के बदौलत वह किसानों के दिलों में आज भी बसते हैं। रालोद पदाधिकारियों नें चौधरी चरण सिंह के चित्र पर माल्यार्पण किया उन्हें श्रद्धांजलि दी | इस दौरान क्रांति पाठक, राजू अवस्थी, गुड्डू सक्सेना, विवेक सक्सेना, संतोष कुमार, मोहन लाल सक्सेना आदि रहे|
किसानों को सियासत पर निगाह रखना सिखाया
23 दिसंबर वर्ष 1902 में मेरठ जिले के (अब हापुड़ में) नूरपुर की मंडैया गांव में झोपड़ी में जन्मे चौधरी चरण सिंह ने देश के पांचवे प्रधानमंत्री रहे। उपप्रधानमंत्री और दो बार यूपी के मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने किसानों को स्वाभिमान के साथ जीने और सियासत पर निगाह रखने का सलीका सिखाया। आर्थिक संकट से जूझता उनका परिवार नूरपुर की मंडैया से जानी के पास भूपगढ़ी गांव में चला गया। लेकिन दो जून की रोटी की लड़ाई यहां से भी उनके परिवार को खरखौदा के निकट स्थित भदौला गांव ले गई। किसी तरह चरण सिंह ने पढ़ाई पूरी की और मेरठ आगरा यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री हासिल कर ली। 29 मई 1987 को इनका देहांत हो गया था। 

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