फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) जब तक सूरज चाँद रहेगा चाचा तेरा नाम रहेगा, चाचा हम शर्मिंदा हैं…जैसे नारे जनपद में किसी समय हर युवा के जबान पर थे | स्वर्गीय ब्रह्मदत्त द्विवेदी की गोली मारकर हत्या के बाद उनसे जुड़े घर परिवार और समाज और संगठन के लोग यही नारा बुलंद करते दिलायी देते थे| उनकी पुन्यतिथि पर हबन पूजन का तो आयोजन प्रतिवर्ष होता है साथ ही उनकी हत्या से लेकिन पिछले 26 सालों से एक परम्परा मशाल जुलूस की भी थी जो स्वर्गीय द्विवेदी को याद करके निकाला जाता था| लेकिन इस बार यह परम्परा ही टूट गयी | जब सत्ता और सरकार अपनी तब युवा मोर्चा अपनी जिम्मेदारी कैसे भूल गया या जानबूझकर इस परम्परा की आग को बुझाया गया? यह सबाल तो है, क्योंकि मशाल जुलूस ना निकलने से पूरे शहर में चक-चक चल रही|
स्वर्गीय ब्रह्मदत्त द्विवेदी की 10 फरवरी 1997 को शहर के लोहाई रोड़ पर एक विवाह समारोह में निकलने के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी| तब से लेकर अब तक उनकी पुन्यतिथि की पूर्व संध्या पर रेलवे रोड स्थित पांडेश्वर नाथ मंदिर से चौक होते हुए लोहाई रोड पर उसी मकान के निकट तक मशाल जुलूस निकाला जाता था जिस जगह श्री द्विवेदी की हत्या हुई थी | जिम्मा युवा मोर्चा के कंधे पर होता है| इस बार युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष एमएलसी प्रांशु दत्त द्विवेदी है|जो स्वर्गीय द्विवेदी के भतीजे भी हैं| उसके बाद भी जिले में युवा मोर्चा नें मशाल जुलूस से किनारा क्यों किया ? यह लोगों की समझ में ही नही आ रहा| जबकि स्वर्गीय द्विवेदी के नाम की मशाल के राजनैतिक प्रकाश से जनपद के नेता आज भी चमक रहें हैं|
युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष मयंक बुंदेला के फोन पर जेएनआई कार्यालय से कई फोन किये गये लेकिन फोन नही उठा| जिससे इस मामले का खुलासा नही हो सका की आखिर मशाल जुलूस क्यों नही निकाला गया | स्वर्गीय द्विवेदी के पुत्र मेजर सुनील दत्त द्विवेदी के विधान सभा सत्र में होनें के चलते उनकी धर्मपत्नी अनीता द्विवेदी व छोटे भाई मयंक द्विवेदी नें भारतीय पाठशाला में हबन पूजन किया| डॉ. हरिदत्त द्विवेदी आदि रहे |