अपनी शुद्धि कर गंगा को अपवित्र कर जाते श्रद्धालु

FARRUKHABAD NEWS


फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) सरकार भले ही गंगा को स्वच्छ और निर्मल करने के लिए भरपूर प्रयास कर करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा रही है। लेकिन गंगा को मैली करने में महत्वपूर्ण भूमिका गंगा के घाट निभा रहे हैं। जहां पर स्नान करने के लिए आने वाले श्रद्धालु सुविधाओं और प्रसार के अभाव में पूजा की सामग्री और अन्य गंदगी का सामान छोड़ कर चले जाते हैं।


शहर के पांचाल घाट गंगा घाट पर हजारों की संख्या में दूर दराज से श्रद्धालु आते हैं। लेकिन इतनी बड़ी तादात में श्रद्धालुओं के आने के बावजूद भी प्रशासन की तरफ से इन घाटों पर कोई सुरक्षा और सुविधा की व्यवस्था नहीं है। जिसके चलते गंगा किनारे लगाए जाने वाले डस्टबीन और प्रसार सामग्री का अभाव है। जिसके अभाव में लोग पूजा अर्चना की सामग्री और पुराने वस्त्रों को घाटों के किनारे पर फेंक कर चले जाते हैं। जिसके चलते गंगा के घाट पर गंदगी के अंबार लगे रहते हैं और फिर वह गंदगी गंगा में बहकर चली जाती है। केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार द्वारा गंगा की सफाई करने के लिए विशेष अभियान चलाया हुआ है। इसके अलावा विभिन्न संस्थाएं भी समय-समय पर गंगा की सफाई के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाता है। इसके बावजूद सफाई करने के लिए कैमरों के आगे फोटो खिचवाने वाले लोग ही गंगा में कचरा डालने से परहेज नहीं करते हैं। बीते दिनों नव दुर्गा के साथ ही दशहरा समाप्ति के बाद गंगा स्नान मेले में उमड़े लाखों श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगा पुण्य अर्जित कर वापिस चले गए। लेकिन गंगा किनारे बड़े स्तर पर अपने साथ लाए पॉलीथिन, पत्तल, दोने, फूल और पूजा सामग्री का अंबार छोड़ गए। मां गंगा की यह दुर्दशा देखने के बाद भी स्वयं को गंगा पुत्र कहे जाने वाले लोगो का भी इस गंदगी की ओर ध्यान नहीं गया। गंगा में श्रद्धालुओं द्वारा छोड़े गए कचरे का निस्तारण करने के लिए सरकारी जिम्मेदारों की तरफ से कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। केन्द्र सरकार ने गंगा को राष्ट्रीय नदी का दर्जा प्रदान किया है। गंगा को प्रदूषण से बचाने के लिए चलाए जा रहे गंगा एक्शन प्लान पर प्रतिवर्ष भारी भरकम राशि खर्च की जा रही है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी गंगा में मूर्ति विसर्जन, फूल माला सहित अन्य सामग्री डालने पर रोक लगा रखी है। इसके बावजूद अपराध को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया जाता है।