Thursday, January 2, 2025
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नवरात्र विशेष: भवानी तालाब से ढाई सौ वर्ष पूर्व निकलीं थीं ‘माँ शीतला’

फर्रुखाबाद:(दीपक शुक्ला) शहर के बढ़पुर स्थित शीतला माता का मंदिर अपने आप में कई रहस्यों को समेटे हुए है| पुजारियों की मानें तो शीतला माता को चेचक का ही प्रतीक माना जाता है| इनकी पूजा करने पर शरीर की गर्मी खत्म हो जाती है और चेंचक जैसे रोगों से मुक्ति मिल जाती है| यह भी मान्यता है कि मन्दिर में 41 दिन लगातार दर्शन के लिए आनें से माँ शीतला सभी दुखों का नाश भी करतीं है| आईये मन्दिर से जुड़े इतिहास से आपको रूबरू कराते हैं|
बढ़पुर में स्थित शीतला माता मंदिर का इतिहास लगभग ढाई सौ वर्ष पुराना बताया जाता है | कुछ लोग इसका इतिहास 400 साल होनें का भी दावा करतें हैं| शीतला माता मन्दिर कमेटी के महामंत्री सचिन कटियार नें बताया की उनके पूर्वज गेदनलाल कटियार ‘राय साहब’ की जमीदारी में बढ़पुर मन्दिर के पीछे विशाल तालाब था | जिसे भवानी तालाब बोलते थे| उसी दरमियान जनपद में चेचक का भयानक प्रकोप फैला| हर तरफ चेचक के प्रकोप से लोग हल्कान हो गये| एक दिन रात में गेंदनलाल कटियार निवासी बढपुर को सपना आया जिसमे देवी माँ नें उनसे कहा कि तालाब में उनकी मूर्ति है उसे निकाल कर मन्दिर का निर्माण करो| जिसके बाद गेंदनलाल ने अगले दिन तालाब की खोजबीन करवाई तो मुख्य रूप से माता शीतला देवी समेत पांच देवियों की मूर्तियां निकलीं। गेंदनलाल ने अपनी भूमि दान में देते हुए अपने पुरोहित सदानंद तिवारी की देखरेख में मंदिर का निर्माण शुरू कराया। इसके बाद मां शीतला देवी समेत सभी पांच देवियों की मूर्ति स्थापित कर दी। इसके बाद मंदिर में विधिविधान से मां की पूजा-अर्चना की जाने लगी। जिसके बाद चेचक का प्रकोप कम हो गया| मन्दिर में आज भी जिले ही नहीं, बल्कि राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, मध्यप्रदेश आदि प्रांत के श्रद्धालु शीतला देवी मंदिर में आते हैं। पहले मंदिर की देखभाल माली करते थे लेकिन ठीक तरह से देखभाल न होने के कारण कमेटी का गठन किया गया।
आज भी ठीक होते चेचक में मरीज
यह मान्यता है कि आज भी यदि मन्दिर में कोई चेचक का मरीज आ जाए और माँ के दर्शन करे तो उसको लाभ मिलता है यानी उसकी चेचक की बीमारी ठीक हो जाती है|
पांचाल घाट तक जाती थी पंचायती घंटो की आवाज
मन्दिर के मुख्य द्वार पर लटके घंटे पंचायती घंटे कहे जाते थे| जिनकी आबाज पांचाल घाट तक जाती थी| पंचायती घंटो में एक विशाल घंटा टूट गया लिहाजा उसे मन्दिर में ही सजों कर रख दिया गया |
छायाचित्र- प्रमोद द्विवेदी (भोले) नगर संवाददाता जेएनआई न्यूज

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