फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) शहर के आवास विकास स्थित लोहिया अस्पताल में क्लबफुट से पीड़ित बच्चे का सफल आपरेशन किया गया| हर शनिवार को लोहिया अस्पताल में क्लबफुट से ग्रसित बच्चों के उपचार की व्यवस्था की गयी है|
मोहम्मदाबाद के ग्राम कुसज्जापुर निवासी अरुण कुमार के घर 16 मई 2022 को पुत्र हर्षवर्धन का जन्म हुआ।घर में खुशी का माहौल था तभी पता चला कि बच्चा (टेढ़े-मेढ़े पैर) का शिकार है| अरुण कुमार नें बताया कि पुत्र के टेढ़े मेढ़े पैर देखकर समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें| बच्चे को जनपद के कई निजी चिकित्सकों को दिखाया पर कोई लाभ नहीं हुआ l दिल्ली में भी कई अस्पतालों में दिखाया, फिर भी बात नहीं बनी। थक हार कर घर आ गया। एक दिन आंगनबाड़ी केंद्र पर अस्पताल से डॉक्टर छोटे बच्चों को देखने आए। उन्होंने बताया- बच्चे को क्लबफुट है। इसका उपचार डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय में निशुल्क होता है l
डॉ. राममनोहर लोहिया चिकित्सालय में डॉ. ऋषि कांत वर्मा को दिखाया तो उन्होंने कहा-बच्चे के पैरों का आपरेशन किया जायेगा और कई बार अस्पताल आकर दिखाना होगा l अगस्त 2022 में बच्चे के पैर का ऑपरेशन हुआ और उसको प्लास्टर चढ़ा दिया गया l उसके बाद उसको जूते दिए गये l अब मेरा बच्चा अपने पैरों पर खड़ा होकर कुछ दूर तक चलने लगा है l अस्पताल के डॉक्टर और अन्य स्टाफ के लोगों को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मेरे बच्चे को उसके पैरों पर खड़ा कर दिया है l” बच्चे का उपचार राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत हुआ।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी और राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. दलवीर सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जन्म से लेकर 19 वर्ष तक के बच्चों की जन्मजात बीमारियों का इलाज किया जाता है l प्रत्येक ब्लॉक में दो टीम हैं जो आंगनबाड़ी केन्द्रों पर जाकर बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करती हैं l
डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय में संचालित अनुष्का फाउंडेशन के आलोक वाजपेयी ने बताया कि हर शनिवार को क्लब फुट से ग्रसित बच्चों का इलाज किया जाता है l
आरबीएसके के तहत 47 बीमारियों का होता है उपचार
आरबीएसके के डीईआईसी मैनेजर अमित शाक्य बताते हैं कि जीवन का प्रारंभिक समय किसी भी बच्चे के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत संचालित राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जन्म से 19 साल तक की उम्र के बच्चों की जन्मजात बीमारियों की पहचान कर उनका इलाज किया जाता है। इस योजना के तहत चाइल्ड हेल्थ स्क्रीनिंग और अर्ली इंटरवेंशन सर्विसेज में स्क्रीनिंग की जाती है, जिसमें कटे होंठ तालू, तंत्रिका ट्यूब दोष, डाउन सिंड्रोम, एनीमिया, विटामिन ए-डी की कमी, कुपोषण, जन्मजात मोतियाबिंद व दिल समेत कुल 47 बीमारियों का उपचार किया जाता है।
अमित ने बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष 2022 -23 में जिले में योजना के तहत कटे होंठ- कटे तालू वाले 26 बच्चों का, जन्मजात मोतियाबिंद से पीड़ित तीन बच्चों का, टेढ़े मेढ़े पैर वाले 32 बच्चों का, न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट और कंजेनाइटल डेफलेस के छह-छह बच्चों इलाज करवाया गया था l इस वित्तीय वर्ष 2023- 24 में अब तक होंठ व तालू कटे वाले नौ बच्चों का, जन्मजात मोतियाबिंद से पीड़ित एक बच्चे का, टेढ़े मेढे पैर वाले 16 बच्चों का, न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट दो बच्चों, कंजेनाइटल डेफलेस एक और जन्मजात दिल के छेद वाले दो बच्चों का इलाज किया जा चुका है l