फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) नवजात के लिए मां का दूध अमृत के समान हैं। यह बच्चों के लिए आदर्श पोषण है। चिकित्सक भी स्तनपान पर सबसे अधिक जोर देते हैं। इसी मर्म को समझने और समझाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक से सात अगस्त तक स्तनपान दिवस मनाया जा रहा है। जिले में इसकी तैयारी शुरू हो गई है।
सीएमओ डॉ. अवनीन्द्र कुमार नें बताया कि मां का दूध बच्चे के लिए आदर्श पोषण है। स्तनपान करने से बच्चों में बौद्धिक और शारीरिक क्षमता संतुलित ढंग से विकसित होता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है यानि कई रोग से बचाव होता है। लंबी बीमारी जैसे शुगर, हाइपर टेंशन से बचाता है। इसके अलावा भी कई फायदे हैं। नवजात व बच्चों के लिए मां दूध सर्वोत्तम आहार है। उन्होंने बताया कि यह भी ध्यान रखने की जरूरत है कि स्तनपान कराने वाली मां को भी पोषणयुक्त भोजन मिले। इससे मां और बच्चा दोनों का स्वास्थ्य बेहतर होगा। स्तनपान से जहां बच्चे को अमृत मिलता है वहीं उसकी मां को बेहतर स्वास्थ्य लाभ मिलता है। इसके साथ ही पहले छह महीने तक केवल स्तनपान करने वाले शिशुओं में डायरिया एवं निमोनिया जैसी संक्रमण से होने वाली मृत्यु की आशंका 11 से 15 गुना तक कम हो जाती है। स्तनपान करने वाले शिशुओं का समुचित ढंग से शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है एवं वयस्क होने पर उसमें गैर संचारी (एनसीडी) बीमारियों के होने की भी आशंका बहुत कम होती है। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. दलवीर सिंह ने आशा कार्यकर्ताओं से कहा है कि जब बच्चा मां के गर्भ में आता है उसी समय से गर्भवती को उसके स्वास्थ्य के लिए पोषाहार क्यों आवश्यक है|
जानकारी दें, साथ ही उन्हें को स्तनपान के लिए भी जागरूक करें और बताएं कि जन्म के तुरंत बाद
शिशु को मां का दूध पिलाना क्यों आवश्यक है ?
लोहिया चिकित्सालय (महिला) में तैनात बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. शिवाशीष उपाध्याय ने
बताया कि जन्म के पहले घंटे में स्तनपान शुरू करने वाले नवजात शिशुओं में मृत्यु की आशंका 20 प्रतिशत तक कम हो जाती है। इसके साथ ही पहले छह महीने तक केवल स्तनपान करने वाले शिशुओं में डायरिया एवं निमोनिया जैसी संक्रमण से होने वाली मृत्यु की आशंका 11 से 15 गुना तक कम हो जाती है। स्तनपान करने वाले शिशुओं का समुचित ढंग से शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है एवं वयस्क होने पर उसमें गैर संचारी (एनसीडी) बीमारियों के होने की भी आशंका बहुत कम होती है। इसके साथ ही स्तनपान कराने वाली माताओं में स्तन एवं गर्भाशय के कैंसर का खतरा भी न के बराबर होता है l