ख़राब व्यवस्था रफू करने को ख़ुफ़िया पुलिस बनी पत्रकार

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फर्रुखाबाद: सरकारी व्यवस्था से उत्तर प्रदेश में हर कोई परेशान है| हालत ये है कि स्वास्थ्य विभाग के स्वास्थ्य मंत्री के दौरे के दौरान कमियों को छुपाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने खुफिया पुलिस को पत्रकार बनाकर लगा दिया, मगर चंद मिनटों में ही पोल खुलते ही मंत्री जी ने निकली भड़ास और सिपाही का नाम नोट| मामला फर्रुखाबाद जनपद के कायमगंज तहसील का है जहाँ रविवार को सरकारी खर्च के उड़न खटोले से मंत्री जी विभागीय दौरे के बहाने आरक्षित सीट पर बसपा कार्यकर्ताओ को जीत का चुनावी गणित समझाने गए थे|

स्वास्थ्य विभाग की बखिया उघेड़ने के लिए पत्रकार बना खुफिया पुलिस का सिपाही मंत्री नसीमुदीन के चंगुल में फस गया| कायमगंज अस्पताल का दौरा करते समय मरीजो से पूछताछ के दौरान बीच में बोलने पर मंत्री ने जब डाट लगानी शुरू की तो सिपाही ने झटपट अपना परिचय पत्रकार का दे दिया| मंत्री कुछ नरम पड़े और लगे सिपाही को पत्रकार समझ घुट्टी पिलाने- मेरा काम मुझे करने दो| इतने में मौके पर मौजूद ने बेमतलब में पत्रकार बिरादरी की फजीहत होते देख मंत्री को बताया कि ये पत्रकार नहीं ये तो सरकार का आदमी है तो मंत्री जी को सांप सूंघ गया और बेचारे सिपाही का नाम नोट हो गया|

हुआ ये कि हाल ही में उत्तर प्रदेश में घपलो घोटालो और हत्याओ से दहले स्वास्थ्य महकमे के मंत्री बदले गए है| मौजूदा स्वास्थ्य मंत्री नसीमुदीन सिद्दकी जो बसपा के आरक्षित सीटो के प्रभारी भी है रविवार को कायमगंज में लिखापढ़ी में सरकारी दौरे पर थे| वे लोक निर्माण मंत्री भी हैं लिहाजा उदघाटन के 9 पत्थरो से उन्हें पर्दा भी हटाना था| स्वास्थ्य मंत्री है लिहाजा किसी स्वास्थ्य सम्बन्धी काम भी करना था, लिहाजा उन्होंने पहले 9 पत्थरों से पर्दा हटाने का काम मशीन का बटन दबा कर किया (हाथ से भी किया जा सकता था मगर उत्तर प्रदेश में पैसे का मंत्रियो के लिए कोई मोल नहीं लिहाजा इंतजाम चापलूसी भरा किया गया)| उसके बाद मंत्रीजी स्थानीय अस्पताल मोयना करने पहुचे| निरिक्षण के लिए हालाँकि पिछले दो तीन दिन से मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी ने जान लड़ा दी थी मगर कंकाल पड़े स्वास्थ्य महकमे को कितना भी ग्लूकोस लगा दिया जाए इधर उधर कोनो से घाव नजर आ ही जाते है| मंत्री जी निरिक्षण कर रहे थे और मुसीबत बने पत्रकार कैमरे चमका रहे थे| सब कुछ मेनेज तरीके से हो रहा था कि अचानक अस्पताल में प्रसव के लिए आई ग्राम अटसेनी पहाडपुर की एक प्रसूता ने मंत्री के सामने अस्पताल से दबाई न मिलने की पोल खोलनी शुरू कर दी| मंत्रीजी के दौरे में खुफिया पुलिस की ड्यूटी पर तैनात सादे कपड़ो में एक सिपाही सुरेश चन्द्र ने महिला की बात दबाते हुए स्वस्थ्य विभाग की पैरवी शुरू ही की थी कि मंत्रीजी ने परिचय पूछ दिया| सिपाही ने तपाक से खुद को पत्रकार बता डाला| फिर क्या था गेंद मंत्री जी के पाले में पहुच गयी| पत्रकारों की मौजूदगी में सरकार की बदनामी देख मंत्रीजी पहले ही दिल ही दिल में खिसियाये हुए थे| मंत्रीजी ने तुरंत ही पलटवार करते हुए कहा कि भाई हमारा काम हमें करने दो| हम यही तो देखने आये हैं कि क्या चल रहा है आप (सिपाही की ओर) न बोले तो अच्छा है| मंत्रीजी जी मन ही मन खुश भी हो रहे थे लगे हाथ पत्रकारों पर वार करने का मौका जो मिल गया| मगर मंत्रीजी का ये भ्रम जल्द ही टूट गया कि जनाब फर्रुखाबाद के पत्रकारों को भी कोई आड़े हाथ ले सकता है| पत्रकार बिरादरी की बेबजह फजीहत देख मौके पर मौजूद पत्रकार बोल पड़े- मंत्रीजी ये पत्रकार नहीं ख़ुफ़िया पुलिस का सरकारी आदमी है| बस फिर क्या था मंत्रीजी ने दोगुनी स्पीड और तेज ध्वनि से सिपाही को डाट निकली भड़ास और सिपाही का नाम किया नोट| सिपाही भी चतुर निकला अपना नाम बताया सिर्फ “सुरेश”|