फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) शहर में जैसे जैसे चुनाव नजदीक आता जा रहा है बैसे बैसे नेता जी जनता से अपना मेल-मिलाप बड़ाने की कवायत में जुटे है, उम्मीदवार अब तरह-तरह के प्रलोभन देकर अपनी चुनावी नैया पार करने की कवायद में जी जान से जुटे हैं। कुछ प्रत्याशी अथवा मठाधीश जातीय समीकरण पर अपनी गोटी बैठाने का चुनाव प्रचार की प्रक्रिया को अपना रहे हैं तो कुछ पार्टी के नाम पर अपनी कुर्सी बचाने में जुटे है इसी प्रकार शिक्षित लोग विकास के नाम पर जातीय समीकरण का हवा निकालने के लिए अभी से तैयार हैं। इनमें कुछ बुद्धिजीवी वर्ग का कहना है कि चुनाव के दौर में भावी प्रत्याशियों को भूले हुए संस्कार के साथ जातीय समीकरण याद आने लगता हैं। शिक्षित मतदाता जातीय प्रलोभन को भूलकर विकास के नाम पर मतदान करने का अभी से मन बना लिया है। फिलहाल प्रत्याशी हर तरह से अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश में जुटे हैैं। सुबह जन संपर्क के लिए निकलते हैैं तो सबसे पहले घर के बुजुर्गों का पैर छूते हैैं। इसके बाद दिन भर बड़े-बुजुर्ग मतदाताओं के सामने दंडवत होते हैैं। यही नहीं बच्चों को दुलारते हैैं तो हम उम्र मतदाताओं से हाथ मिलाने के साथ गले लगने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैैं। कुछ प्रत्याशी ऐसे भी जिनमें शुरू से ही एक दूसरे का अभिवादन करने व लोगों का हाल चाल पूछते थे मगर जो कभी अभिवादन नहीं करते थे मगर वे भी अब पैर छूने में पीछे नहीं हैैं।इस चुनाव में अगर देखा जाये तो विलुप्त हो रही पैर छूकर प्रणाम करने की परंपरा को आज सर्बाधिक अपनाया जा रहा है|