गोरखपुर: गोरखपुर जेल प्रशासन ने शासन के निर्देश पर माफिया व पूर्व विधायक राजन तिवारी को शनिवार की सुबह प्रशासनिक आधार पर फर्रुखाबाद के फतेहगढ़ सेंट्रल जेल भेज दिया।गैंगस्टर कोर्ट से वारंट जारी होने के बाद भी पेशी पर न आने वाले राजन तिवारी के खिलाफ 17 साल से गैर जमानती वारंट जारी हो रहा था। एक माह से तलाश में जुटी कैंट थाना व क्राइम ब्रांच की टीम ने गुरुवार को माफिया राजन को बिहार में रक्सौल बॉर्डर से गिरफ्तार किया था। 90 के दशक के कुख्यात बदमाश श्रीप्रकाश शुक्ला के संगत में आकर अपराध की दुनिया में बड़ा नाम बनाने वाला राजन तिवारी पूर्वांचल में बिहार में दहशत पर्याय रहा है। गोरखपुर व आसपास के जिलों से लेकर बिहार तक इसके नाम की दहशत है। यही वजह है कि राजन तिवारी को पूरब से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जेल में भेजा गया है।
उत्तर प्रदेश के 61 माफिया की सूची में शामिल राजन तिवारी के खिलाफ 15 मई 1998 में कैंट थाना पुलिस ने गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की थी। उसके अलावा दाउदपुर निवासी दुर्दांत श्रीप्रकाश शुक्ल,मोहद्दीपुर निवासी अनुज सिंह, संतकबीरनगर के महुली थानाक्षेत्र के जोरवा निवासी आनंद पांडेय को भी आरोपित बनाया गया था। श्रीप्रकाश शुक्ल, आनंद व अनुज को एसटीएफ ने मुठभेड़ में मार गिराया था। इस मामले में आरोपित राजन तिवारी ही जिंदा है जो दो दशक से बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के गोविंदगंज में रहता है। कुछ दिनों पहले चुपके से उसने गोरखपुर में वापसी करते हुए गुलरिहा और पिपराइच इलाके में प्रापर्टी डीलिंग शुरू की। इसकी भनक लगते ही पुलिस सक्रिय हो गई।प्रदेश के मफिया की सूची में राजन का नाम शामिल होने के बाद एडीजी जोन कार्यालय ने उसके ऊपर दर्ज मुकदमे की जांच शुरू कराई तो पता चला कि दिसंबर 2005 से गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद भी वह कोर्ट में पेशी पर नहीं आ रहा था। एडीजी के निर्देश पर एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर ने सीओ कैंट के नेतृत्व में तीन टीम गठित की थी। गुरुवार को प्रभारी निरीक्षक थाना कैंट शशिभूषण राय ने क्राइम ब्रांच की मदद से रक्सौल बार्डर, लक्ष्मीपुर टावर के पास से गिरफ्तार कर लिया। वह नेपाल भागने की फिराक में था। राजन की सफारी गाड़ी में चालक सहित चार लोग सवार थे। पूछताछ के बाद पुलिस ने चालक व दो अन्य लोगों को छोड़ दिया था।