फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) कटरी किंग के नाम से मशहूर दुर्दात अपराधी कल्लू यादव के साथ ही उसके गुर्गो का खौफ भी कम नहीं था। पुलिस इनके नाम से कांपती थी तो इलाके के सेठ-साहूकार इनके फरमान पर सबकुछ न्यौछावर करने को मजबूर थे। गुरुवार को जब कल्लू डकैत के 5 गुर्गो को अदालत ने आठ साल की कारावास की सजा व 10 हजार के अर्थदंड से दंडित किया तो पुन: एक बार कलुआ के आतंक की कहानी ताजा हो गयी|
दरअसल 6 अक्टूबर 2011 को तत्कालीन कोतवाल कायमगंज विजय बहादुर सिंह ने कोतवाली क्षेत्र के ग्राम हसनगंज गंडुआ निवासी सतीश चद्र, रामनिवास, वीरपाल, रामदास, रक्षपाल के खिलाफ गैंगेस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था| जिसमे पुलिस ने 20 जून 2012 को अरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी| मुकदमें चली सुनवाई के बाद आखिर सभी आरोपियों को न्यायालय ने दोषी पाया| दोषी पाये जानें पर उन्हें आठ साल कैद की सजा के साथ ही 10 हजार रूपये का अर्थ दंड से दंडित किया है| अर्थदंड जमा ना करनें पर 1 वर्ष अतिरिक्त कारवास की सजा भुगतनी होगी| सभी आरोपी कलुआ गैंग के गुर्गे है|
आतंक का पर्याय और पुलिस का पक्का दुश्मन था कलुआ गिरोह
विदित है की लगभग 20 साल पहले राजाराम यादव उर्फ कलुआ यादव के गैंग का खासा आतंक हुआ करता था| कोतवाली कायमगंज क्षेत्र में 4 मार्च 2001 को दस्यु सरगना कलुआ से लोहा लेते हुए सिपाही शांतिराम शहीद हुए थे। डकैत उनकी रायफल भी लूट ले गए थे।उसके बाद 26 मार्च 2003 को कंपिल क्षेत्र में कारव की कटरी में कलुआ से मोर्चा लेनें के दौरान तत्कालीन कंपिल थाना प्रभारी राजेश कुमार सिंह, मेरापुर थानें के उपनिरीक्षक उदयवीर सिंह, कंपिल के सिपाही उमेश चंद्र व पीएसी सिपाही सेवाराम यादव शहीद हो गये थे| डकैत उनकी रिवाल्वर, कारबाइन, पिस्टल व राइफल तथा वायरलेस सेट भी लूट के ले गये थे| 17 सितंबर 2005 को कारव की कटरी में नाव से जा रही पुलिस पर कलुआ गिरोह ने जमकर फायरिंग कर दी थी| जिसमे पीएसी के उपनिरीक्षक चंद्रपाल सिंह, सिपाही इशरत अली व दिलीप तिवारी शहीद हुए थे। 16 जनवरी 2006 में बरेली पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में कलुआ का आतंक खत्म हुआ था|