जिला जेल बबाल: घटना के चार दिन बाद सीओ ने बंदियों पर दर्ज करायी एफआईआर , बोले छीना-छपती में चली उनकी गोली

CRIME FARRUKHABAD NEWS POLICE

फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) जिला जेल में विगत दिनों बबाल के बाद एक कैदी की मौत गोली लगनें से हुई थी जबकि एक को सैफई में बीमारी से मृत दिखाया गया था| जेल के भीतर गोली चलनें की घटना से हर किसी को चौंका दिया है| पुलिस अधीक्षक से लेकर अन्य अधिकारी कई घंटे तक गोली चलने की बात को नकारते रहे लेकिन बाद में पुलिस नें यह भी कबूला की गोली चली और तमंचा भी बरामद हुआ| घटना के चार दिन तक पुलिस किचड़ी पकातीं रही और उसके बाद बीती देर रात सीओ सिटी नें अज्ञात कैदियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया| जिसमे जिक्र किया की गोली उनके हाथ में पकड़े गये हथियार से बंदियों द्वारा छिना-छपती करनें के दौरान चल गयी| अभी तक जेल में तमंचा मिलने के मामले में मुकदमा दर्ज नही हुआ और ना ही अभी तक जिम्मेदारों पर कार्यवाही हुई|
दरअसल नगर क्षेत्राधिकारी प्रदीप कुमार नें दर्ज करायी गयी एफआईआर में कहा है कि उन्हें सूचना मिली की जिला जेल में बंदीयों नें आगजनी, तोड़फोड़ कर दी है| जिस पर वह भी जिला जेल पंहुचे| लेकिन बंदी लगातार पथराव कर रहे थे| कुछ उग्र बंदियों नें उनके हमराह नागेन्द्र  सिंह  का सरकारी हथियार छिनने की कोशिश की| उसे जान से मारनें की नियत से नीचे गिरा लिया और सका गला दबाकर जान से मारनें का प्रयास किया| सीओ नें दर्ज करायी गयी एफआईआर में कहा है कि बंदियों नें उनके हाथ पर हमला किया और पकड़े गये हथियार को छिनने की कोशिश की| उसी दौरान अचानक गोली चल गयी| उसी दौरान एक घायल बंदी को उपचार हेतु भेजा गया| पुलिस नें अज्ञात बंदियों के खिलाफ 147, 148, 149, 323, 324, 332, 353, 186, 506, 307, 336, 398, 120-बी, 427, 436 व आपराधिक कानून (संसोधन) अधिनयम 1932 की धारा 7 के तहत सैकड़ो बंदियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है| मुकदमें की विवेचना कोतवाल फतेहगढ़ जेपी पाल को दी गयी है|
सीओ द्वारा दर्ज कराये गयी एफआईआर और पुलिस अधीक्षक द्वारा मीडिया को दिये गये वयान से झोल आ गया है| घटना को जेल के भीतर पूरी तरह से काबू करनें के बाद और बंदी शिवम को गंभीर रूप से घायल होनें के बाद उसे लोहिया से सैफई रिफर करनें की बात एसपी नें कही| सबाल यह खड़ा होता है कि जब सीओ के हाथ में पकड़े गये हथियार से गोली चली तो फिर उन्होंने तत्काल एसपी को क्यों नही बताया या फिर गुमराह किया गया? एसपी ने जेल के भीतर किसी तरह की गोलीबारी पुलिस के द्वारा किये जानें से इंकार किया था| फिर अचानक बीती रात सीओ प्रदीप कुमार नें जो एफआईआर दर्ज करायी उसनें सबाल जरुर खड़े कर दिये| सीओ के हाथ से गोली बंदियों द्वारा हथियार छिनने के दौरान गोली चली तो फिर यह बात पुलिस अधीक्षक या आलाधिकारियों को क्यों नही बतायी गयी| एसपी ने घटना के बाद जो बयान मीडिया को दिया था उसमे और सीओ की एफआईआर में काफी विरोधाभाष है| घटना के दूसरे दिन डीजी जेल आनन्द कुमार नें घटना के दूसरे दिन पत्रकारों को बंदी के गोली लगनें का जिक्र किया लेकिन उन्होंने यह नही बताया कि गोली किसकी लगी|