सरसों के तेल की बढ़ी कीमतों से घट गया दीयों का आकार

FARRUKHABAD NEWS जिला प्रशासन सामाजिक

फर्रुखाबाद:(दीपक शुक्ला) रोशनी के त्योहार दीपावाली को लेकर तैयारी तेज हो गयें है| दीपों का त्योहार दीपावली आते ही शहर व गांवों में लोग पूजा अर्चना कर घरों की साफ सफाई में जुट गये है| दीपावली के दिन धन की देवी माँ लक्ष्मी व प्रथम पूज्य गणेश की पूजा की जाती है| जिसको लेकर हर घर को दीयों से रोशन किया जाता है| यह परम्परा प्राचीन काल से चली आ रही है| जो आज भी बदस्तूर जारी है| दीपावली आते ही मिट्टी के दीयों की बिक्री बढ़ जाती है| लोग उन्हें अपने घरों में सरसों का तेल भरकर जलाते है| और अंधकार को दूर भगाते है| लेकिन इस बार सरसों का तेज के भाव गर्म है| लिहाजा दीयों का आकार भी कम कर दिया गया है|
शहर के सुनहरी मस्जिद गढ़ी जदीद निवासी कुम्हार अखिलेश प्रजापति नें बताया कि इस बार तेज की बढ़ी हुई कीमतों नें दीयों का आकार को कम कर दिया है| लोग छोटे दीयों की मांग कर रहें है| लिहाजा उन्होंने बड़ी संख्या में छोटे दिए बनाये हैं|
सुनील कुमार प्रजापति नें बताया कि महंगाई अधिक होनें की मार त्योहार पर पड़ रही है| साल भर इंतजार के बाद दीपावली का त्योहार आता है| लेकिन सरसों के तेल की बढ़ी हुई कीमतों नें दीयों का आकार कम कर दिया है| लिहाजा इस बार छोटे दीयों की मांग अधिक है| उन्होंने बताया की वर्ष 1982 से वह मिट्टी

 

के बर्तन बनाने का व्यापार कर रहे है| इतनी मंहगाई आज तक नही हुई| प्रति व्यक्ति 200 से 300 दीये खरीदता था लेकिन अब दो दर्जन ही अधिकतर लोग खरीद कर त्योहार की औपचारिकता निभा रहें है| वहीं सरकार भी उनके कारोबार को बढ़ानें के कागजी वादे कर रही है|  उन्होंने कहा की इलेक्ट्रानिक चाक के लिए आवेदन किया था लेकिन आज तक नही मिली| यदि इलेक्ट्रानिक चाक होती वह यह कारोबार जल्दी करते|
ऐसे तैयार होते हैं दीये :
खेत में बने मटखान से मिट्टी लाकर कुम्हार परिवार अपने घर के पास रखते। उसमें पानी डालकर 24 घंटे छोड़ देते। उसके बाद पैर से मिट्टी को पूरा मिलाया जाता है। मिट्टी को लोंदा में बांटकर एक स्थान पर रखते हैं। फिर उसे गीले कपड़ा से ढक देते हैं। करीब 12 घंटा होने के बाद मिट्टी के एक लोंदा को चाक के बीच में रखकर हाथ के सहारे दीये बनाया जाता है। इस दरम्यान चाक की चाल धीमी होने पर चकैठी से चाक को घुमाना पड़ता। चार से बने दीया को धूम में सूखने के बाद आवा में पकाया जाता है।
यह है दीयों के रेट
दिये 20 रूपये के 25, कुलिया 5 रुपये की एक, बड़ा दीया 5 रूपये का एक, गोलक, चक्की आदि की बिक्री चल रही है| लेकिन मिट्टी के खिलौने गोलक, चक्की आदि कम पसंद की जा रही है