Monday, December 23, 2024
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24 अक्टूबर को रखा जायेगा करबाचौथ व्रत, पढ़े शुभ मुहूर्त

डेस्क: हिंदू धर्म में करवाचौथ का बहुत महत्व है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। रात्रि में चांद के दर्शन के बाद व्रत खोला जाता है। पति अपने हाथों से पानी पिलाकर धर्मपत्नी का व्रत खोलते हैं। शास्त्रों के अनुसार करवा चौथ का व्रत हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस बार व्रत 24 अक्टूबर को रखा जाएगा। जानें प्रेगनेच और ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाएं व्रत में किन बातों का ध्यान रखें।
जरूरी बिंदु
प्रेगनेंट और ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली औरतों को व्रत रखने से बचना चाहिए। जब महिलाएं गर्भवती होती हैं, तो उन्हें कई स्वास्थ्य परेशानियों को झेलना पड़ता है। लंबे समय तक भूखा-प्यासा रहना गर्भ में पल रहे शिशु के लिए अच्छा नहीं होता। इस तरह स्तनपान कराने वाली औरतों को भी व्रत नहीं रखना चाहिए। 6 महीने तक नवजात मां के दूध पर निर्भर रहता है। करवा चौथ व्रत से महिलाओं की आस्था जुड़ी है। लेकिन अपने बच्चे की सेहत का ध्यान रखते हुए व्रत करने से बचना चाहिए। इस दौरान निर्जला व्रत रखने से बचना चाहिए। फल, जूस, दूध और ड्राई फ्रूट्स खाते रहें।
करवा चौथ का शुभ मुहूर्त
आचार्य सर्वेश शुक्ल के अनुसार 24 अक्टूबर 2021 को रविवार के दिन सुबह 3 बजकर 1 मिनट से चतुर्थी तिथि शुरू होगी। 25 अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 43 मिनट पर चुतर्थी तिथि समाप्त होगी। इस दौरान 24 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 43 मिनट से लेकर 6 बजकर 59 मिनट तक करवाचौथ पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा। इसके बाद रात 8 बजकर 7 मिनट पर चांद के दर्शन होंगे। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार रोहिणी नक्षत्र को बेहद शुभ माना जाता है और इस वर्ष शुभ संयोग बन रहा है क्योंकि करवा चौथ का चांद रोहिणी नक्षत्र में निकलेगा। करवा चौथ व्रत पारण और चंद्रोदय टाइम- अलग-अलग शहरों में चांद निकलने के समय में बदलाव हो सकता है। इस दिन 08.07 मिनट पर चांद के दर्शन हो सकते हैं। उसके बाद करवा चौथ व्रत का पारण किया जाएगा।
करवा चौथ पूजन सामग्री की सूची
1. चंदन, शहद,अगरबत्ती, पुष्प, दूध, शकर, शुद्ध घी, दही, मिठाई, गंगाजल,कुंकुम,अक्षत (चावल), सिंदूर, मेहंदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ,मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूं, शकर का बूरा, हल्दी, पानी का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, चलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ, दक्षिणा के लिए पैसे।
पूजा विधि-
* सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाएं। सरगी के रूप में मिला हुआ भोजन करें पानी पीएं और भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प लें।
* करवा चौथ में महिलाएं पूरे दिन जल-अन्न कुछ ग्रहण नहीं करतीं फिर शाम के समय चांद को देखने के बाद दर्शन कर व्रत खोलती हैं।
* पूजा के लिए शाम के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना कर इसमें करवे रखें।
* एक थाली में धूप, दीप, चंदन, रोली, सिन्दूर रखें और घी का दीपक जलाएं।
* पूजा चांद निकलने के एक घंटे पहले शुरू कर देनी चाहिए। इस दिन महिलाएं एक साथ मिलकर पूजा करती हैं।
* पूजन के समय करवा चौथ कथा जरूर सुनें या सुनाएं।
* चांद को छलनी से देखने के बाद अर्घ्य देकर चंद्रमा की पूजा करनी चाहिए।
* चांद को देखने के बाद पति के हाथ से जल पीकर व्रत खोलना चाहिए।
* इस दिन बहुएं अपनी सास को थाली में मिठाई, फल, मेवे, रुपए आदि देकर उनसे सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद लेती हैं।
चंद्रमा को अर्घ्य देने का मंत्र-
करकं क्षीरसंपूर्णा तोयपूर्णमयापि वा। ददामि रत्नसंयुक्तं चिरंजीवतु मे पतिः॥
इति मन्त्रेण करकान्प्रदद्याद्विजसत्तमे। सुवासिनीभ्यो दद्याच्च आदद्यात्ताभ्य एववा।।
एवं व्रतंया कुरूते नारी सौभाग्य काम्यया। सौभाग्यं पुत्रपौत्रादि लभते सुस्थिरां श्रियम्।।

 

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