Thursday, December 26, 2024
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महंत नरेन्द्र गिरि की संदिग्ध मौत की जाँच करेगी एसआईटी

लखनऊ: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष तथा निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत नरेन्द्र गिरि की सोमवार को प्रयागराज में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के मामले में सीएम योगी आदित्यनाथ के बेहद सख्त होने के बाद अब जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) गठित की गई है। प्रयागराज के डीआईजी सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी ने विशेष जांच दल(एसआइटी) का गठन कर टीम का नेतृत्व डिप्टी एसपी अजीत सिंह चौहान को सौंपा है।
मंगलवार को सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज में श्री मठ बाघम्बरी गद्दी में महंत की पार्थिव देह का अंतिम दर्शन करने के बाद उनको श्रद्धांजलि दी। इसके बाद उन्होंने कहा कि महान संत की मौत के मामले में जांच में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी और किसी पर भी संदेह होने पर उसके साथ सख्ती से पेश आया जाएगा। फिलहाल स्वामी आनंद गिरि के साथ ही छह अन्य लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ जारी है। महंत नरेन्द्र गिरि की संदिग्ध मौत के मामले में प्रयागराज में गठित एसआइटी में डिप्टी एसपी अजीत सिंह चौहान के साथ इस मामले के विवेचक इंस्पेक्टर महेश को भी रखा गया है। इस मामले में डीआइजी सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी ने कहा कि जरूरत पड़ी तो हम कुछ लोगों का लाई डिटेक्टर टेस्ट भी कराएंगे।
पुलिस महंत नरेन्द्र गिरि की मौत से जुड़े दो वीडियो की जांच में जुटी है। एक वीडियो के आधार पर नरेंद्र गिरि को ब्लैकमेल करने की चर्चा है। इस वीडियो का जिक्र महंत नरेन्द्र गिरि के कथित सुसाइड नोट में भी किया गया है। दूसरा वीडियो महंत नरेन्द्र गिरि खुद बनाया था, जिसमें अपने खिलाफ हो रही साजिश के बारे में बताया है। इन वीडियो के आधार पर जांच के बाद बड़ा खुलासा हो सकता है।
प्रयागराज में महंत नरेन्द्र गिरि की संदिग्ध मौत के मामले में जॉर्ज टाउन थाने में केस दर्ज है। महंत नरेन्द्र गिरि के शिष्य अमर गिरि पवन महाराज की तरफ से दर्ज करवाई गई रिपोर्ट में महंत के शिष्य आनंद गिरि को नामजद आरोपी बनाया गया है। इस एफआईआर के मुताबिक, महंत नरेंद्र गिरि सोमवार दोपहर लगभग 12:30 बजे बाघम्बरी गद्दी के कक्ष में भोजन के बाद रोज की तरह विश्राम के लिए गए थे। तीन बजे दोपहर में उनके चाय का समय होता था, लेकिन चाय के लिए उन्होंने पहले मना किया था और यह कहा था जब पीना होगा तो वह स्वयं सूचित करेंगे। इसके बाद शाम करीब 5 बजे तक कोई सूचना न मिलने पर उन्हेंं फोन किया गया, लेकिन महंत नरेन्द्र गिरि का फोन बंद था।

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