लखनऊ:उत्तर प्रदेश सरकार ने किन्नरों के कल्याण के लिए किन्नर कल्याण बोर्ड गठित किया गया|समाज कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में कुल 23 सदस्यीय बोर्ड बनाया गया है। इसमें उपाध्यक्ष व पांच सदस्य किन्नर होंगे। बोर्ड किन्नरों की आवश्यकताओं,मुद्दों व समस्याओं पर काम करते हुए नीति व संस्थागत सुधारों के लिए सरकार को सुझाव देगा। प्रदेश में तकरीबन डेढ़ लाख किन्नर हैं।सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अन्य राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश भी किन्नर कल्याण बोर्ड गठित किया गया है। बोर्ड के अध्यक्ष समाज कल्याण मंत्री होंगे जबकि मुख्यमंत्री द्वारा नामित किन्नर उपाध्यक्ष होगा। समाज कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव संयोजक होंगे। महिला कल्याण,गृह,वित्त,चिकित्सा,महिला एवं बाल विकास,ग्राम्य विकास,नगर विकास,न्याय विभाग,बेसिक तथा माध्यमिक व उच्च शिक्षा के अपर मुख्य सचिव व प्रमुख सचिव,लखनऊ के पुलिस आयुक्त,किन्नर समुदाय के पांच प्रतिनिधि व उनके लिए काम करने वाले एनजीओ के दो प्रतिनिधि बोर्ड के सदस्य बनाए गए हैं। पांच किन्नर व एनजीओ के प्रतिनिधियों को मंत्री नामित करेंगे। गैर-आधिकारिक सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्षों होगा। बोर्ड का सदस्य सचिव,निदेशक समाज कल्याण होगा। बोर्ड को तीन महीने में बैठक करना जरूरी होगा। विभागीय प्रमुख सचिव के रविन्द्र नायक ने बताया कि सभी के नामित होते ही बोर्ड की बैठक होगी|बोर्ड का काम किन्नर नीति को विभागों में लागू करने के साथ ही किन्नरों का शैक्षिक,सामाजिक वआर्थिक विकास करने,समानता व समता के लिए दिशा-निर्देश जारी कर उनका क्रियान्वयन कराने तथा जिला स्तरीय समिति या किन्नर सहायता इकाई के प्रकरणों पर निर्णय करना होगा।
जिलों में डीएम की अध्यक्षता में भी 13 सदस्यीय समिति होगी जिसकी प्रतिमाह बैठक होगी। एसएसपी,सीएमओ,एसीएमओ,निकाय अध्यक्ष,बीएसए,जिला प्रोबेशन अधिकारी,बाल विकास परियोजना अधिकारी,जिला कार्यक्रम अधिकारी तथा डीएम द्वारा नामित मनोवैज्ञानिक व किन्नर समुदाय के दो प्रतिनिधि सदस्य और जिला समाज कल्याण अधिकारी सदस्य सचिव होंगे। किन्नरों को पहचान पत्र मिलेंगे। किन्नरों को मनोवैज्ञानिक परामर्श के लिए केंद्र भी बनेंगे|