अब अन्य दलों में सेंधमारी के तेज होंगे दांव

LUCKNOW Politics

लखनऊ: पिछला विधानसभा चुनाव बसपा के टिकट पर लड़े माफिया मुख्तार अंसारी के बड़े भाई सिबगतुल्ला अंसारी और बलिया के कद्दावर नेता अंबिका चौधरी सपा में शामिल हुए सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई। सपा, भाजपा हों या कोई भी दल जोड़तोड़ की राजनीति का यह दांव अब तक धीरे-धीरे चल रहा था, जो अब तेजी पकडऩे वाला है। अपने-अपने संगठन को क्षमता अनुसार मजबूत कर चुकी सभी पार्टियां अब दूसरे दलों में सेंधमारी कर जातीय-क्षेत्रीय गणित ठीक करने के लिए प्रभावशाली नेताओं को तोडऩे की रणनीति में जुट गए हैं।
दरअसल, किसी भी चुनाव के पहले दलबदल का खेल चलता ही है। अब विधानसभा चुनाव में कुछ माह ही बचे हैं। प्रत्याशी तय करने पर भी दलों में विचार मंथन शुरू हो जाएगा। ऐसे में न सिर्फ राजनीतिक दल अपने मोहरे सजाने में लग गए हैं, बल्कि टिकट के दावेदार भी अपने लिए सुरक्षित पाला तलाशने में जुट गए हैं। भाजपा लगातार चुनाव जीत रही है। अभी सत्ता में है, इसलिए दूसरा दल छोड़कर भाजपा में आने वालों की कतार भी लंबी है। पार्टी की भी नजर ऐसे चेहरों पर है, जिनका अपनी जाति या क्षेत्र में प्रभाव है। जिताऊ माने जा रहे ऐसे नेताओं को शामिल कराकर भाजपा चुनाव में उतार सकती है। इसके साथ ही सत्ता खेमे में चर्चा है कि जिन विधायकों की रिपोर्ट ठीक नहीं होगी, उनका टिकट काटा जाएगा।
संभावना है कि जिनके टिकट कटें, वह दूसरे दलों का दरवाजा खटकाएं। भाजपा की तरह सपा में भी कई नेता बसपा या कांग्रेस छोड़कर शामिल हो चुके हैं। सेंधमारी के खास प्रयास बसपा की ओर से अभी नजर नहीं आए, लेकिन उम्मीद है कि चुनाव नजदीक आते-आते सोशल इंजीनियरि‍ंग की पार्टी की नीति कुछ नेताओं के लिए संभावनाओं के द्वार खोले। अपना कुनबा बढ़ाने के लिए हाथ-पैर कांग्रेस भी मार रही है। यह तय है कि अगले एक-दो माह में दलबदल का यह सिलसिला काफी तेजी पकड़ेगा।