Tuesday, December 24, 2024
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चुनावी साल में उत्तर प्रदेश में महंगी नहीं होगी बिजली,किसानों को मिलेगी अतिरिक्त छूट

लखनऊ:उत्तर प्रदेश सरकार जोरदार ढंग से 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में लग गई है। चुनावी वर्ष के मद्देनजर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बिजली की दर न बढ़ाए जाने की घोषणा पहले ही कर दी थी। उसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने  टैरिफ आर्डर जारी कर दिया है।उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने  टैरिफ आर्डर जारी कर बिजली की दरें बढ़ाने के कयास को विराम दे दिया है। प्रदेश में बिजली की दरें यथावत रखी गई हैं। सरकार ने किसानों को बड़ी राहत दी है। उत्तर प्रदेश में मीटर लगाए जाने के बाद भी किसानों को अनमीटर्ड टैरिफ की सुविधा प्रदान की गई है। इस सुविधा से उनको पर्याप्त बिजली मिलने के साथ ही कोई अतिरिक्त धन भी नहीं देना पड़ेगा। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने सभी बिजली कंपनियों के स्लैब परिवर्तन के साथ ही साथ रेगुलेटरी सरचार्ज के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।

कोविड-19 और बढ़ती महंगाई से परेशान प्रदेशवासियों को राहत देने वाली खबर है। चुनावी वर्ष में बिजली और महंगी होने का झटका किसी को नहीं लगेगा। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों की तमाम दलीलों को खारिज कर बिजली की मौजूदा दरें न बढ़ाते हुए उन्हें यथावत रखने का गुरुवार को फैसला सुनाया। आयोग ने कंपनियों के 10-12 फीसद रेगुलेटरी सरचार्ज लगाए जाने और स्लैब परिवर्तन करने संबंधी प्रस्तावों को भी नहीं माना है। ऐसे में विद्युत उपभोक्ताओं की जेब पर कम से कम अगले वर्ष विधानसभा चुनाव तक तो किसी तरह का कोई अतिरिक्त बोझ पडऩे वाला नहीं है।दरअसल पांचों बिजली कंपनियों ने चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए नियामक आयोग में 81,901 करोड़ रुपये का एआरआर  दाखिल किया था। इन कंपनियों ने अपनी ओर से बिजली दर बढ़ाने का कोई प्रस्ताव तो नहीं दिया था लेकिन 9663 करोड़ रुपये का राजस्व गैप दिखाया था जिसकी भरपाई के लिए वे बिजली की दरों में इजाफा चाह रही थीं। चूंकि विधानसभा चुनाव में कुछ ही महीने रह गए हैं इसलिए पहले से ही माना जा रहा था कि अबकी बिजली की दरें नहीं बढ़ेंगी।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी बिजली की दरें न बढ़ाए जाने की घोषणा की थी। ऐसे में बिजली कंपनियों ने दूसरे रास्तों के जरिये उपभोक्ताओं से ज्यादा वसूली करने की कोशिश की,लेकिन आयोग ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया। कंपनियों ने 49,827 करोड़ रुपये का रेगुलेटरी असेट दिखाते हुए 10-12 फीसद तक रेगुलेटरी सरचार्ज लगाए जाने का प्रस्ताव तो आयोग को सौंपा ही, मौजूदा 80 स्लैब को घटाकर 53 करने का प्रस्ताव भी दिया, ताकि कमाई बढ़ाई जा सके।

बिजली कंपनियों के प्रस्तावों पर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने विधिक तथ्यों के साथ आपत्ति को मानते हुए आयोग ने एआरआर में 9938 करोड़ रुपये की कटौती करने के साथ ही सरचार्ज व स्लैब परिवर्तन के प्रस्तावों को भी खारिज कर उपभोक्ताओं को बड़ी राहत दी है। इतना ही नहीं आयोग ने बिजली कंपनियों को बड़ा झटका देते हुए उन पर ही उपभोक्ताओं का 1059 करोड़ रुपये सरप्लस निकाल दिया है जिससे अगले वित्तीय वर्ष में भी बिजली की दरों में बढ़ोतरी की गुंजाइश कम ही रहने के आसार हैं।उल्लेखनीय है कि मौजूदा बिजली की दरें तकरीबन दो वर्ष पहले से लागू हैं। वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव के बाद बिजली की दरों में इजाफा किया गया था।

किसानों को ट्यूबवेल के बिल में राहत:आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह के घोषित टैरिफ आर्डर में किसानों को ट्यूबवेल के बिल में एक तरह से बड़ी राहत भी दी गई है। अब भले ही ट्यूबवेल कनेक्शन में मीटर लगने वाला हो लेकिन किसानों को मीटर में दर्ज खपत संबंधी रीडिंग के अनुसार बिजली का बिल नहीं देना पड़ेगा। किसानों के ऐसे कनेक्शनों को भी अनमीटर्ड मानते हुए उनसे फिक्स 170 रुपये प्रति हार्सपावर की दर से ही बिजली का बिल वसूला जाएगा।

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