Monday, December 23, 2024
spot_img
HomeLUCKNOWकांवड़ यात्रा का 'रास्ता' निकालने में जुटी योगी सरकार

कांवड़ यात्रा का ‘रास्ता’ निकालने में जुटी योगी सरकार

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा को सशर्त मंजूरी दिए जाने के बाद अब उस पर असमंजस के बादल मंडरा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा के आयोजन को लेकर राज्य सरकार से पहले कोरोना संक्रमण के हालात के मद्देनजर परिस्थितियों को देखने को कहा है। अब सरकार को सर्वोच्च अदालत में 19 जुलाई को अपना पक्ष रखना है। इससे पहले सरकार ने कांवड़ संघों से बातचीत शुरू की है। प्रयास वह रास्ता निकालने का है, जहां से धार्मिक भावनाओं का मान रहे और महामारी से भी बचा जा सके।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को कोविड महामारी के हालात को देखते हुए कांवड़ संघों से संवाद करने का निर्देश दिया है। सरकार सभी परिस्थितियों को देख रही है और कांवड़ संघों की सहमति के आधार पर फैसला किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने अपर मुख्य सचिव गृह व डीजीपी को कांवड़ यात्रा के मद्देनजर दूसरे राज्यों से संवाद करने के लिए भी कहा है। 25 जुलाई से प्रस्तावित कांवड़ यात्रा को लेकर सरकार हर स्थिति को ध्यान में रखकर तैयारी कर रही है।
सरकार यह तो चाहती है कि कांवड़ यात्रा पारंपरिक रूप से निकाली जाए, लेकिन कोरोना महामारी को देखते हुए कोई जोखिम भी नहीं उठाना चाहती है। यही वजह है कि अधिकारियों ने कांवड़ संघों से बातचीत शुरू कर दी है और उन्हें कोरोना की गंभीरता भी बताई जा रही है। सरकार का प्रयास है कि धार्मिक भावनाएं आहत न हों और महामारी से बचाव भी हो जाए। सावन के महीने में हर वर्ष होने वाली इस धार्मिक यात्रा में बड़ी संख्या में प्रदेशवासी शामिल होते हैं।
कोरोना को देखते हुए सरकार पहले से ही काफी सतर्कता बरत रही है। यह भी शर्त लगा दी है कि कांवड़ यात्रा में शामिल होने वाले हर श्रद्धालु की आरटीपीसीआर नेगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य होगी। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष कांवड़ संघों ने सरकार के साथ बातचीत के बाद खुद ही यात्रा स्थगित कर दी थी।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा है कि वह सांकेतिक कांवड़ यात्रा कराने के फैसले पर पुनर्विचार करे और 19 जुलाई तक इस बारे में सूचित करे। कोर्ट ने कहा कि लोगों की सेहत और उनके जीवन का अधिकार सर्वोपरि है, धार्मिक भावनाओं सहित अन्य सभी भावनाएं इसके अधीन हैं। वहीं, केंद्र सरकार ने भी स्पष्ट किया कि यात्रा नहीं होनी चाहिए। हां धार्मिक भावना के लिहाज से गंगाजल उपलब्ध कराए जाने पर विचार किया जा सकता है। उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा की इजाजत की अखबार में आई खबर पर सुप्रीम कोर्ट ने 14 जुलाई को केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार और उत्तराखंड सरकार से जवाब मांगा था।
कोर्ट ने कोरोना महामारी और उसकी तीसरी लहर की आशंका के बीच कांवड़ यात्रा कराने की खबर को परेशान करने वाली बताते हुए कहा था, प्रधानमंत्री ने कहा है कि तीसरी लहर को रोकने की जरूरत है और उसमें जरा भी समझौता नहीं किया जा सकता। एक ही समय अलग-अलग राजनीतिक बयानों को देखते हुए जरूरी हो जाता है कि सरकार इस पर जवाब दे। कोर्ट के आदेश पर केंद्र, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड ने हलफनामा दाखिल कर कांवड़ यात्रा पर स्थिति स्पष्ट की।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments