अब विधानसभा चुनाव में मुस्लिमों को भी टिकट देगी भाजपा, जिताऊ दावेदारों की तलाश

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लखनऊ: ‘सबका साथ, सबका विकास’ की नीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘सबका विश्वास’ जो जोड़ा, वह महज दो शब्द नहीं, बल्कि एक बड़ा संदेश था। समाज के बड़े वर्ग का विश्वास जीतकर चुनावी विजय के हिमालय पर जा पहुंचा भगवा दल अल्पसंख्यक वर्ग में खासतौर से मुस्लिम समाज का भी विश्वास और जीतना चाहता है। केंद्र की मोदी और प्रदेश की योगी सरकार की योजनाओं-नीतियों में भेदभाव न होने का संदेश पहले से ही दिया जाता रहा। अब इसे रणनीति का हिस्सा बनाकर पार्टी द्वारा आगामी विधानसभा चुनाव में मुस्लिमों को भी टिकट देने की तैयारी है।
तमाम दल तुष्टिकरण की राजनीति के आरोप लंबे समय से झेल रहे हैं, लेकिन उनकी नीति-रणनीति में अभी भी खास बदलाव नजर नहीं आ रहा है, जबकि भाजपा मजबूत विजय रथ पर सवार होने के बावजूद ‘साफ्ट सेकुलरिज्म’ का सिक्का एकबारगी उछालकर देखने के मूड में नजर आ रही है।
दरअसल, सियासी गलियारों में अक्सर यह चर्चा होती है कि मुस्लिम समाज उसी दल को वोट देता है, जो उसे भाजपा के मुकाबले मजबूत नजर आता है। इस ‘कथनी’ को अपनी ‘करनी’ से बेअसर करने में सत्ताधारी भाजपा को अब कोई संकोच शायद नहीं है। 2014 के लोकसभा चुनाव में ‘सबका साथ, सबका विकास’ की नीति अपनाने वाली भाजपा ने 2019 आते-आते अपनी नीति को विस्तार दिया।
तकरीबन दो वर्ष पहले लोकसभा चुनाव जीतने के बाद संसदीय दल की पहली बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने सबका साथ, सबका विकास के साथ सबका विश्वास को भी जोड़कर स्पष्ट कह दिया था कि अल्पसंख्यकों को छला गया। अब हम उनका भी विश्वास हासिल करेंगे। माना जाता है कि तीन तलाक के खिलाफ कानून लाकर मुस्लिम महिलाओं को साथ लेने की सबसे पहली कोशिश हुई, जिसका कुछ लाभ पार्टी को पिछले चुनावों में हुआ भी।
गौरतलब है कि तकरीबन 20 फीसद मुस्लिम जनसंख्या वाले सूबे के दो दर्जन से ज्यादा ऐसे जिले हैं जहां 20 से 65 फीसद तक मुस्लिम आबादी है। इन जिलों की 50 से अधिक विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में होते हैं। इसके बावजूद 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने एक भी मुस्लिम प्रत्याशी नहीं बनाया था। हां, चुनाव बाद पूर्व क्रिकेटर मोहसिन रजा को जरूर विधान परिषद सदस्य बनाकर राज्यमंत्री पद भी दिया गया।
चूंकि, 2019 के बाद पार्टी की रीति-नीति बदली है, इसलिए यूपी के विधानसभा चुनाव की रणनीति पर भी इसका असर नजर आ सकता है। यह लगभग तय है कि मुस्लिम बहुल कुछ सीटों पर पार्टी उसी समाज में से अपने प्रत्याशी भी चुने। माना जा रहा है कि पार्टी दर्जनभर से अधिक मुस्लिम दावेदारों को टिकट थमा सकती है। बशर्ते, इस बात का ख्याल जरूर रखा जाएगा कि प्रत्याशी हर पहलु से जिताऊ हो।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि मोदी-योगी सरकार की किसी भी योजना में किसी भी जाति-वर्ग के साथ भेदभाव नहीं हुआ। हम सबका साथ, सबका विकास के साथ सबका विश्वास की नीति पर चल रहे हैं। यदि कोई मुस्लिम कार्यकर्ता ऐसा हो, जिसकी कार्यकर्ताओं में स्वीकार्यता हो, जनता में लोकप्रियता और पार्टी के प्रति समर्पण हो तो उसे टिकट देने में कोई परहेज नहीं किया जाएगा।