कोरोना कर्फ्यू में बंदी की कंगार पर सैकड़ो होटल-रेस्टोरेंट

FARRUKHABAD NEWS जिला प्रशासन सामाजिक
फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में होटल व रेस्टोरेंट व्यवसाय तबाह होने के कगार पर है। पिछले लाक डाउन के दौरान भारी घाटे की मार से अभी होटल व्यवसायी उबर भी नहीं पाए हैं।जनपद में काेरोना महामारी का सबसे अधिक असर से होटल एवं रेस्टोरेंट पर पड़ा है। शहर के कई रेस्टारेंट एवं होटलों में बीते एक माह से ताला लगा हुआ है। कुछ रेस्टोरेंट जोमेटो एवं स्वीगी के साथ जुड़कर होम डिलेवरी कर रहे हैं, लेकिन आनलाइन खाने-पीने का सामान मंगवाने वालों की संख्या भी कम ही है। ऐसे में होटल एवं रेस्टोरेंट प्रबंधन के सामने कुक, मैनेजर, हेल्पर, हाउस कीपिंग सहित अन्य को वेतन देना चुनौती बन गया है। शहर के अधिकांश रेस्टोरेंटों में बाहरी लोग काम करते हैं। कई रेस्टोरेंट संचालकों ने हालात सुधरने तक कर्मचारियों को घर भेज दिया है।
जनपद में डेढ़ सौ से ज्यादा रेस्टोरेंट और आधासैकड़ा से अधिक होटल
जनपद में छोटे-बड़े मिलाकर लगभग डेढ़ सौ से ज्यादा रेस्टोरेंट और करीब आधा सैकड़ा से अधिक बड़े होटल हैं। ऐसे वक्त में अचानक कोरोना कफ्यू के कारण होटल एवं गेस्ट हाउस बंद करना पड़ा जब अधिकांश होटलों एवं गेस्ट हाउसों में विवाह समारोह के लिए बुकिंग कराई गई थी। प्रशासन की सख्ती और मेहमानों की संख्या सीमित किए जाने से लोगों ने बुकिंग कैंसिल करा दी। सभी तरह के काराबार पूरी तरह बंद हैं, इसलिए बाहरी लोग भी होटल में ठहरने नहीं आ रहे हैं। पिछले साल लगे लाकडाउन की वजह से भी होटल कारोबारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। दूसरी तरफ रेस्टोंरेट की स्थिति तो और भी खराब हो गई है।
बंद होने की कगार पर पहुंचे अधिकांश रेस्टोरेंट
बहुत से रेस्टोरेंट किराए पर हैं और बंद होने की कगार पर पहुंच चुके हैं। किराया, बिजली का बिल और स्टाफ का वेतन देना भी मुश्किल हो रहा है। बेबर रोड़ स्थित मांझी रेस्टोरेंट के संचालक देवेन्द्र सक्सेना नें बताया कि बंदी के कारण कई तरह का नुकसान झेलना पड़ रहा है। खाने-पीने का जो सामान था उसे चूहे और काकरोच ने खराब कर दिया है। बाहरी स्टाफ को फिलहाल घर भेज दिया गया है। बाजार खुलने के बाद भी रेस्टोरेंट को पटरी पर लौटने में छह माह से ज्यादा का वक्त लग जाएगा।
दांव पर सैकड़ों नौकरियां
होटल एवं रेस्टोरेंट कारोबारियों की माने तो होटल-रेस्टोरेंट में काम करने वाले 80 फीसद कर्मचारी (वेटर, कुक, सफाई कर्मी) बाहरी हैं। जब यह व्यवसाय प्रभावित होगा तो सैकड़ों की संख्या में काम करने वाले कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे। हालात इतनी खराब हो गई है कि कारोबारी कर्मचारियों को घर बैठाकर वेतन देने की हैसियत में नहीं हैं।
अप्रैल-मई में कई बड़ी बुकिंग थी, लेकिन पाबंदियों की वजह से बुकिंगकर्ता द्वारा कैंसिल करा दिया है। यह समस्या ज्यादातार होटलों के सामने आई है। जब होटल-रेस्टोरेंट का कारोबार प्रभावित होगा तो उससे जुड़े कर्मचारियों की जिंदगी पर भी असर पड़ेगा। खासकर उन होटलों एवं रेस्टोरेंटों की हालत ज्यादा बिगड़ेगी जो किराए पर संचालित हैं। कमालगंज भोजपुर स्थित मधुवन रेस्टोरेंट के संचालक छोटू यादव नें बताया कि बिजली का बिल, मेनटेनेंस और कर्मचारियों के वेतन पर हर माह लगभग लाखों रुपये खर्च आ रहा है। पिछले साल भी काफी नुकसान उठाना पड़ा था। पाबंदियां हटने के बाद भी रेस्टोरेंट व्यवसाय पर इसका असर बहुत दिनों तक रहेगा। किसी कर्मचारी को नही हटाया गया| उनको जेब से ही वेतन दें रहें है|