फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) रंगों का त्यौहार होली ज्यों-ज्यों नजदीक आता जा रहा है, बाजार में खोया की दुकानें सजने लगी हैं। खोया की इस त्यौहार में जरूरत तो सभी जानते हैं, लेकिन बाजार में बिकने वाले खोया की गुणवत्ता को लेकर प्रश्न चिन्ह लगने लगे हैं। होली आते ही बाजार में खोया की मांग बढ़ जाती है। खोया की बढ़ती मांग के चलते मिलावटखोर भी सक्रिय हो जाते हैं। ये लोग सिथेटिक खोया बनाकर बाजार में खपाना शुरू कर देते हैं। यद्यपि जब खाद्य सुरक्षा टीमें नमूना भरने लग जाती हैं तो मिलावटी खोया बेचने वालों पर अंकुश लग जाता है। अब जबकि होली के त्यौहार में मात्र एक दिन ही शेष बचा हैं और परिवारों में इसकी तैयारियां तेज हो गयी हैं, बाजार में मिलावटी खोया की भरमार हो गयी है। लोग शुद्ध खोया के नाम पर मिलावटी खोया खरीदने को मजबूर हैं।
होली नजदीक आते ही नगर के मुख्य चौक बाजार सहित बाजारों एवं स्थानों पर मुनाफाखोर सक्रिय हो गए हैं। उनका मिलावट का धंधा जोरों पर है। मुनाफे के चक्कर में दुकानदार, लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। खोये की एक बड़ी खेफ जलालाबाद आदि प्रमुख जगहों से आती है| खाद्य सुरक्षा विभाग की टीमों नें शनिवार को भी क्षेत्र में खाद्यय पदार्थो ने नमूने लिये| लेकिन चौक के खोया व्यापारी खुले आम खुला खेल फरुखाबादी कर रहें है| उनके भीतर किसी का खौफ नजर नही आता|
ऐसे बनता है सिथेटिक खोया!
जानकार बताते हैं कि इसे बनाने में दूध, ग्लूकोस व रिफाइंड का इस्तेमाल किया जाता है। दूध, पानी व ग्लूकोस के घोल में रिफाइंड या पाम ऑयल मिलाकर नकली खोया तैयार किया जाता है। इसे खराब होने से बचाने के लिए चीनी के साथ केमिकल और हाइड्रोजन परॉक्साइड का प्रयोग किया जाता है। इसकी पहचान प्रयोगशाला में ही संभव है।
शनिवार को पांच जगह पर लिए नमूने
कंपिल मार्ग स्थित नागेश कुमार की दुकान से वेजिटेबल ऑयल, ग्राम राजपुर में दुकानदार सुशील कुमार की दुकान से पेड़ा व राममूर्ति की दुकान से खोया का नमूना लिया गया| पांचाल घाट से अनुज कुमार (दूध फेरी विक्रेता) का गाय के दूध का नमूना लिया गया| आशीष पाल का भैस के दूध का नमूना लिया गया|
अभिहित अधिकारी सैय्यद शाहनवाज हैदर आबिदी नें जेएनआई को बताया कि मिलाबट के खिलाफ अभियान लगातार जारी है| चौक पर भी नमूने भरे गये| इसके साथ अभियान जारी है| जल्द फिर शिकंजा कसा जायेगा|