स्वर कोकिला मालिनी अवस्थी के लोकगीतों से मंहका गंगा तट

FARRUKHABAD NEWS जिला प्रशासन धार्मिक सामाजिक

फर्रुखाबाद:(नगर संवाददाता) मेला रामनगरिया का रविवार को समापन हो गया| लेकिन उससे पूर्व मेले के सांस्कृतिक पांडाल में बीती रात पंहुची स्वर कोकिला मालिनी अवस्थी नें लोक संगीत से श्रोताओं को सुरों के संगम में डुबकी लगवा दी| के समापन के मौके पर पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने देर रात तक अपनी गायिकी से समां बांधे रखा। जहां एक ओर उन्होंने कार्यक्रम की शुरुआत में भगवान राम के साथ माँ गंगा से जुड़े जुड़े पारंपरिक गीत गाकर माहौल को भक्तिमय कर दिया। कार्यक्रम के मध्य में विरह व मिलन से जुड़ी लोक संगीत तथा समापन फिल्मी गीतों के साथ किया। जहां एक ओर लोग संगीत में अवधि, ठुमरी, बुंदेलखंडी संगीत का समावेश रहा।
हिन्दी अवधी लोकगीत के आयोजित कार्यक्रम के दौरान भारतीय संस्कृति की उद्घोषिका स्वर संगम की कोकिला पद्मश्री डा. मालिनी अवस्थी ने मधुर स्वर में लोक जीवन को जीवंत कर दिया। कन्नौजी, अवधी, ब्रज के लोकगीत, होरी, रसिया के द्वारा लोक संगीत की स्वर कोकिला मालिनी अवस्थी ने मां सरस्वती के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए गंगा मां की शास्त्रीय संगीत की विधा में लोक गीतों के साथ प्रस्तुति दी। ’गंगा मैया तोरी निर्मल धार, सभी को मन भाए-भाए हो रामा…. माघ मास में गंगा मैया चुनरी चढै़वे-चढ़ैवे… हो रामा….’ आदि गीतों के माध्यम से मालिनी अवस्थी ने पूरे सांस्कृतिक पांडाल में सुरों की गंगा ऐसी बहाई की हर कोई लोकसंगीत के रसों की धारा में बहता ही चला गया।
आयोजित कार्यक्रम के दौरान मालिनी अवस्थी ने ऋतुराज बसंत और मधुमास होली अवध-कन्नौजी और ब्रज क्षेत्र की होरी खेले रघुवीरा… अवध में होरी… हो रामा रे… राम जी के हांथ कनक पिचकारी, लक्ष्मण हांथ अबीरा… सिया संग खेले होरी अवध में होरी…. हो रामा… आदि लोक गीतों के माध्यम से स्वर कोकिला ने श्रोताओं को फागुनी रंग में रंग दिया। मालिनी अवस्थी ने कहा कि कन्नौज के होने के नाते उनका फर्रुखाबाद से पुराना नाता है। उन्होने कहा कि शुकुरूल्लाहपुर स्थित अवस्थी स्टेट से उनका परिवारिक संबंध भी है। वह जब भी फर्रुखाबाद आती हैं तो तमाम पुरानी यादों को संजोकर तरोताजा हो जाती है।
जिलाधिकारी मानवेन्द्र सिंह, मुख्य विकास अधिकारी डा. राजेन्द्र पैन्सिया, एसपी अशोक कुमार मीणा, एसडीएम अनिल कुमार, मेला व्यवस्थापक संदीप दीक्षित, संस्कार भारती की संरक्षिका डा. रजनी सरीन, सुरेन्द्र पाण्डेय, रवीन्द्र भदौरिया, सुनील अवस्थी आदि रहे|