डेस्क: मकर संक्रांति के दिन सूर्य भगवान दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करते हैं। यानि धनु से मकर राशि में सूर्य के प्रवेश करने पर मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस दिन से खरमास भी समाप्त होता है और शुभ दिवसों की शुरुआत हो जाती है। यही समय होता है जब खेतों में चावल, गन्ना आदि की फसल कट चुकी होती है। मकर संक्रांति पर सबसे खास स्नान और दान का महत्व माना जाता है। दान में खिचड़ी को सबसे उत्तम बताया गया है। इस दिन 14 तरह की वस्तुओं का दान अलग-अलग फल देती हैं। चावल, घी, पापड़-अचार और तिल आदि दान करने का अलग अलग लाभ मिलता है।
14 प्रकार के दान से उतने तरह से सुख की प्राप्ति
पद्मेश इंस्टीट्यूट ऑफ वैदिक साइंसेज के संस्थापक ज्योतिषाचार्य केए दुबे पद्मेश ने बताया कि इस बार मकर संक्रांति में 14 वस्तुओं का दान करने से 14 प्रकार के सुख की प्राप्ति होती है। इसमें चावल, घी, मोतीचूर के लड्डू, तिल के लड्डू, नमक, काला कंबल, खिचड़ी, भूमि, सोना, फल, पापड़-अचार, तेल, कपास, सूती कपड़े, चीनी और गुड़ शामिल हैं। मकर संक्रांति पर इन सबका दान करने से विशेष फल लाभ की प्राप्ति होगी।
किसके दान से क्या लाभ
शुद्ध घी- रोग दूर होते हैं और निराेगी काया मिलती है।
काला कंबल- भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।
तिल के लड्डू – दांपत्य जीवन सुखमय होता है।
घेवर व मोतीचूर के लड्डू : व्यावसाय में लाभ और सफलता मिलती है।
खिचड़ी : वाहन सुख की प्राप्ति होती है।
नमक : घर व परिवार की नकरात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और ऋणात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
भूमि : संपदा में बढ़ोत्तरी होती है।
स्वर्ण : यश और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
फल : भक्ति मिलती है।
पापड़ व अचार – घर परिवार को नजर नहीं लगती है और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
तेल : सौभाग्य बढ़ता है।
कपास व सूती वस्त्र : मान व प्रतिष्ठा बढ़ती है।
चावल : आकस्मिक दुर्घटना से मुक्ति मिलती है।
चीनी और गुड़ : अधिकारी की कृपा प्राप्त होती है।