लखनऊ: प्रधानों के बाद अब 13 जनवरी को आधी रात से जिला पंचायत अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल भी समाप्त हो जाएगा। 14 जनवरी से जिला पंचायतों की कमान प्रशासक के हाथ में होगी।
पंचायत चुनाव में अभी वक्त है इसलिए जिला पंचायतों में प्रशासक की तैनाती करने की तैयारी है। सूत्रों के अनुसार जिलाधिकारियों को जिला पंचायत में बतौर प्रशासक कमान सौंपी जाएगी। बता दें कि इसके पहले 25 दिसंबर को प्रदेश की गौतमबुद्धनगर को छोड़कर प्रदेश के शेष 74 जिलों में ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 25 दिसंबर की आधी रात को पूरा हो गया। जिसके बाद ग्राम प्रशासकों की नियुक्ति कर दी गई।
ई-ग्राम स्वराज और ग्राम निधि-6 पर लेनेदेन के लिए ग्राम प्रधानों के डिडिटल सिगनेचर सर्टिफिकेट को अनरजिस्टर्ड कर दिया गया। ई-ग्राम स्वराज से ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों के लिए तथा ग्राम निधि-6 से स्वच्छ भारत मिशन की गतिविधियों के लिए धन का लेन-देन होता है।
पिछले 25 वर्षों में निर्वाचन क्षेत्र आरक्षित रहा तो इस बार लाभ नहीं
पिछले 25 वर्षों से अनुसूचित जाति (एससी) या अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित रहे क्षेत्र पंचायत सदस्य (बीडीसी), ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य और जिला पंचायत अध्यक्षों के निर्वाचन क्षेत्रों में इस बार इन जातियों के लिए आरक्षण का लाभ लागू नहीं होगा। यही व्यवस्था एससी, एसटी के लिए आरक्षित रहे क्षेत्रों में भी लागू रहेगी। इस संबंध में जल्द ही शासन के निर्देश जारी हो सकते हैं।
पंचायत चुनाव के निर्वाचन क्षेत्रों (वार्डों) में आरक्षण के लिए तैयार प्रस्तावित फार्मूले के मुताबिक, ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों तथा जिला पंचायतों में एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र, यानी वार्डों की गणना पहले से तय फार्मूले के अनुसार डीएम के स्तर से की जाएगी। जिला पंचायतों में आगामी सामान्य निर्वाचन के आरक्षण में चक्रानुक्रम (रोटेशन) लागू किया जाएगा।
यानी 1995, 2000, 2005, 2010 एवं 2015 के चुनाव में आरक्षित वर्गों तथा महिलाओं के लिए आरक्षित जिला पंचायतों को इस बार इस वर्ग को नहीं रखा जाएगा। इनमें अवरोही (गिरते हुए) क्रम में अगली स्टेज पर आने वाली जिला पंचायत से आरक्षण दिया जाएगा। इसमें यह शर्त होगी कि यदि आरक्षण का कोटा पूरा करने के लिए जिला पंचायत शेष न हों तो पिछले पांच चुनावों में उस वर्ग के लिए आरक्षित जिला पंचायत में फिर से उसी वर्ग के लिए आरक्षण का निर्धारण हो सकता है। यही फार्मूला क्षेत्र पंचायत (ब्लॉक) प्रमुख पद पर लागू हो सकता है।