फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) कानून-व्यवस्था चुस्त-दुरस्त रखने के लिए पुलिस विभाग हाईटेक होता जा रहा है, लेकिन इनकी हर गतिविधि पर शातिर बदमाशों की भी नजर रहती है। पुलिस दस कदम आगे चलती है तो अपराधी 100 कदम आगे। अपराधियों का अपना अलग-अलग अपराध करने का तरीका होता है। कोई हमला कर लूटपाट करता है तो कुछ बिना हमले के ही लूटपाट व चोरी की घटनाओं को अंजाम देते हैं। पुलिस की कड़ी अब कमजोर होती जा रही है। मुखबिर बनाने की बजाय पुलिसकर्मी केवल सर्विलांस को ही अपना मुखबिर समझ कर काम कर रहे हैं। जिन घटनाओं में बदमाशों ने अपने दिमाग का प्रयोग किया है, उन घटनाओं का पर्दाफाश करना पुलिस के लिए आसान नहीं है। कई ऐसी घटनाएं हैं, जिसका पुलिस पर्दाफाश तो दूर, आरोपितों तक पहुंच भी नहीं पाई है।
एक समय था जब छोटी-बड़ी आपराधिक घटनाओं में पुलिस मुखबिरों की मदद से केस को सुलझा लेती थी। गली-कूचों में फैला मुखबिर तंत्र पुलिस को अहम देता था। लेकिन पुलिस का यह तंत्र अब पूरी तरह चरमरा चुका है। सूत्रों की मानें तो मुखबिरों का पहले खास ख्याल रखा जाता था। उन्हें रुपये के साथ-साथ अन्य मामलों में मदद की जाती थी। उनकी छोटी-मोटी आपराधिक गतिविधियां नजरअंदाज कर दी जाती थीं। इसके बदले में मुखबिर जान हथेली पर रखकर आपराधिक गतिविधियों की जानकारियां पुलिस तक पहुंचाते थे। सर्विलांस का सहारा मिलने के बाद पुलिस ने मुखबिरों को ही अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया।
जिससे पुलिस के खबरी धीरे-धीरे कम होते जा रहा रहें है| जिसका परिणाम यह हुआ कि आज जिले के कई हत्याकांड हैं जिन्हें वर्षो के बाद भी पुलिस नें अभी तक खोल नही पाया है|